सर्व भयानक रोग विनाशक काव्य सं. 45-पूरे भक्तमार की कुंजी है और पीड़ित सभी लोगों की मदद ,भयानक घातक बीमारियों से, और गहराई से उदास, निराश, निराश हैं, उनके लिए बहुत कारगर

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सर्वरोगनाशक भक्तामर स्तोत्र

सर्व भयानक रोग विनाशक काव्य सं. 45
भक्तामर स्तोत्र के नियमित पढने से कैंसर से मुक्ति मिल सकती है। खासतौर पर पद 45 के पढ़ने से। प्रयोग चल रहा है कि क्या शुगर का संतुलन ठीक हो सकता है।इसके उत्साहजनक परिणाम आ रहे है। यह श्लोक पूरे भक्तमार की कुंजी है और पीड़ित सभी लोगों की मदद करता है भयानक घातक बीमारियों से, और गहराई से उदास, निराश, निराश हैं, उनके लिए बहुत कारगर

मूल पाठ संस्कृत
उद्भूतभीषणजलोदर भारभुग्नाः ।
शोच्यां दशामुपगताश्च्युतजीविताशाः ॥
त्वत्पादपंकज रजोऽमृतदिग्धदेहा ।
मर्त्या भवन्ति मकरध्वजतुल्यरूपाः ॥४५॥

मूल पाठ हिन्दी
असहनीय उत्पन्न हुआ हो, विकट जलोदर पीड़ा भार।
जीने की आशा छोड़ी हो, देख दशा दयनीय अपार॥
ऐसे व्याकुल मानव पाकर, तेरी पद-रज संजीवन।
स्वास्थ्य-लाभ कर बनता उसका, कामदेव सा सुंदर तन ॥४५॥

Hindi Meaning अर्थ
उत्पन्न हुए भीषण जलोदर रोग के भार से झुके हुए, शोभनीय अवस्था को प्राप्त और नहीं रही है जीवन की आशा जिनके, ऐसे मनुष्य आपके चरण कमलों की रज रुप अम्रत से लिप्त शरीर होते हुए कामदेव के समान रुप वाले हो जाते हैं|

भावार्थ :
जलोदर कि वजह से जिन्हे वक्रता आ गयी, जो कुरुप हो गये हो, जिनके जिने कि आशा समाप्त हुइ हो, ऐसे ग्रसित आपके चरण कमल धूल को अथवा आपके चरण धूले हुए जल को धारण करनेवाला मनुष्य कामदेव समान रुपयौवन युक्त हो जाता है; अर्थात आपके भक्तोंके छोटे क्या, जलोदर जैसे भयंकर रोग भि कुछ नुकसान नही कर सकते।

Pronunciation
ud bhutabhishanajalodara – bharabhugnah
shochyam dashamupagatashchyutajivitashah |
tvatpadapankaja-rajoamritadigdhadeha,
martya bhavanti makaradhvajatulyarupah ॥ 45 ॥

Explanation (English)
O Omniscient ! An extremely sick person, disfigured due to advanced dropsy and having lost all hopes of recovery and survival, when rubs the nectar-like dust particles taken from your lotus feet, fully recovers and becomes handsome as Adonis.

दीपक जैन BOI भोपाल