वाह कमलप्रीत कौर! डिस्कस थ्रो छोड़ सकती हूँ, लेकिन नॉन वेज को हाथ नहीं लगाऊँगी , इसी शाकाहार के दम पर ओलंपिक के फाइनल में छटे नंबर तक पहुंची

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ओलिंपिक ट्रैक एंड फील्ड के इतिहास में आज तक भारत कोई पदक नहीं जीता है, और फाइनल में जगह बनाने वाले ही कुछ विरले ही है, चाहे वो मिल्खा सिंह हों या पी टी उषा, इस बार डिसकस थ्रो में धमाल कर दिया पंजाब की कमलप्रीत कौर ने, इस खेल में कहते हैं की बिना नॉन वेज के ताकत नहीं आ सकती, पर कमलप्रीत कौर ने इस बात को झूठा साबित कर स्पष्ट कर दिया कि शाकाहारी का दम नॉन वेज से भी बढ़कर है, तभी तो वो 32 में छटे नंबर तक पहुंची

शाकाहार के दम पर सुशील कुमार जैसे पहलवानों के ताल ठोकनें के उदाहरण मौजूद हैं, लेकिन एथलेटिक्स की थ्रो इवेंट में शाकाहारी एथलीटों की कल्पना मुश्किल है। थ्रोअरों को भुजाओं और शरीर में ताकत लाने के लिए देर-सवेर नॉनवेज शुरू ही करना पड़ता है, लेकिन हाल ही में 66.59 मीटर के राष्ट्रीय कीर्तिमान के साथ डिस्कस फेंक कर पूरी दुनिया की नजरों में छाने वाली कमलप्रीत कौर के साथ ऐसा नहीं है। उनके सामने जब नॉन वेज शुरू करने की बात रखी गई तो उन्होंने साफ कर दिया कि वह डिस्कस थ्रो छोड़ सकती हैं, लेकिन नॉन वेज को हाथ नहीं लगाएंगी। इसी शाकाहार के दम पर उन्होंने ओलंपिक के फाइनल में जगह बना 32 में छटे नंबर तक पहुंची

पनीर, मटर के चावल हैं बेहद पसंद
राष्ट्रीय शिविर में कुछ लोगों ने सोचा यह लड़की बिना नॉन वेज के डिस्कस थ्रो में नहीं टिक पाएगी। कमलप्रीत ने उनकी इन आशंकाओं को झुठलाते हुए अपने फेवरेट पनीर की सब्जी, पराठे और मटर के चावल के दम पर टोक्यो में फाइनल में जगह बनाकर पदक की उम्मीदों को जगाया । कमलप्रीत खुलासा करती हैं कि उन्हें शाकाहारी खाने में ही मजा आता है। थ्रोअर होने के बावजूद उनकी अंदर से ही कभी नॉन वेज खाने की इच्छा नहीं हुई। कमलप्रीत की कोच राखी यहां तक कहती हैं कि उसने यह दिखा दिया है कि शाकाहारी भी थ्रोअर हो सकते हैं। इसके लिए नॉन वेज जरूरी नहीं है।