एक ख़रीदें एक मुफ्त पाएं”
ये एक marketing हो सकती है लेकिन वास्तविक जीवन में इसके कई मायने हैं।
अगर हम क्रोध खरीदते हैं तो हमें एसिडिटी मुफ्त में मिल जाती है।
अगर हम ईर्ष्या खरीदते हैं तो सिरदर्द मुफ्त में मिल जाता है।
अगर हम द्वेष खरीदते हैं तो अल्सर मुफ्त मिल जाता है।
अगर हम तनाव खरीदते हैं तो रक्तचाप मुफ्त में मिल जाता है।
ऐसे ही अगर हम बातचीत से विश्वास ख़रीदते हैं तो दोस्ती मुफ्त में प्राप्त हो जाती है।
अगर हम व्यायाम ख़रीदते हैं तो अच्छा स्वास्थ्य मुफ्त में प्राप्त जाता है।
अगर हम शांति ख़रीदते हैं तो हमें समृद्धि मुफ्त में प्राप्त हो जाती है।
अगर हम प्रामाणिकता ख़रीदते हैं तो अच्छी नींद मुफ्त में प्राप्त हो जाती है।
अगर हम सदभाव ख़रीदते हैं तो हमें सभी अच्छे गुणों के साथ ईश्वर की कृपा प्राप्त हो जाती है।
अब ये हम पर निर्भर करता है कि हमें क्या ख़रीदना चाहिए।
मनुष्य जन्म से नहीं कर्म से महान होता है~भगवान महावीर स्वामी जी