भारतीय संस्कृति और उसके मूल्यों पर लवजिहाद एक अभिशाप है उस पर एक जोरदार कुठाराघात है इसका सबसे बड़ा कारण वर्तमान समय में हम अपने बच्चों को अलौकिक शिक्षा उच्च से उच्च स्तर की देना चाहते हैं और धार्मिक शिक्षा पर हम ध्यान नहीं देते हैं धार्मिक शिक्षा पाठशाला जो मंदिरों में चलती है उन पर जरूर ध्यान देना चाहिए और अपने बच्चों में सद संस्कारों के बीजारोपण के लिए बहुत जरूरी है।
बचपन में दिए गए सद संस्कार बचपन की दहलीज़ पर भी बने रहते हैं। दिनांक 28 जुलाई को वेविनार आयोजित की उसकी जितनी प्रसंशा की जाए कम होगी। श्रदेय श्री अनिल जी बड़कुल जी बहुत ही सुंदर तरीके से अपने विचार रखते हुवे लव जिहाद के बारे में बारीकी से हमे बताया कि लव जिहाद का शाब्दिक अर्थ लव अर्थात प्यार होता है यहाँ लव जिहाद में लव का अर्थ प्यार से नही मात्र वासना है शारिरिक आकर्षक से है।
गुना की सत्य घटना से भी उन्होंने अवगत करवाया। बहुत दर्दनाक घटनाक्रम हुआ। जैन समाज की बच्चियों के लिए बहुत बड़ा संदेश दे गया। डॉ संगीता जी ने तो अपने विचारों से सबका दिल जीत लिया। वो भी एक प्रिंसिपल होने के नाते इस विषय पर बच्चों को अपना मार्ग दर्शन करती है। सुरेश जी बाकलीवाल जी के विचार भी बहुत अच्छे लगे। हमे अपने बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।दिगम्बर जैन महासमिति एवम श्रीमती अनुपमा जी जैन ओर सुरेश जी बाकलीवाल जी के सफल सयोंजन में यह वेविनार बहुत सफल रहा।
पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा