अनादिनिधन पर्व,श्री अष्टान्हिका महापर्व जी आज आषाढ़ सुदि अष्टमी 17 जुलाई से पूर्णिमा 24 जुलाई 2021 तक

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अष्टाह्निका अर्थात् आठ दिनों का पर्व, आइये जानें इसके बारे में
(१) पूरे साल में कितनी बार अष्टाह्निका पर्व आते हैं और कौन-कौन से महीनों में ?
उ० वर्ष में कुल तीन बार अष्टाह्निका शाश्वत पर्व आते हैं :-
कार्तिक मास में , फाल्गुन मास में और आषाढ़ मास में।

(२) कौन-सी तिथि से कौन-सी तिथि तक
उ० कार्तिक शुक्ल, फाल्गुन शुक्ल और आषाढ़ शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा तक
(३) ‘अन्तआठ दिन माँहि’ – ऐसा क्यू आता है?
उ० क्योंकि गुजराती में सुदी से महीने की शरुआत होती है और वदी में पूरा होता है। लेकिन संस्कृत, हिंदी, मराठी में वदी से महीने की शरुआत होती है इसलिए अन्त आठ दिन लिखा है।

(४) 4 प्रकार के देव कौन-से द्वीप पर पूजा करने जाते हैं और उसका द्वीप और समुद्र की अपेक्षा से कौन-सा क्रमांक आता है
उ० ये देव नंदीश्वर द्वीप पर पूजा करने जाते है जिसका नं० आठवाँ है। द्वीप और समुद्र मिलाकर 15वॉ क्रमांक आता है।
(५) देव कितने समय पूजा करते हैं?
उ०पुरे 24 घंटे और निरंतर 8 दिन तक।

(६) और वहा रात को पूजा होती है? अगर होती है तो रात को क्यूँ होती है?
उ० वहाँ 24 घंटो पूजा होती है लेकिन वहाँ रात – दिन का भेद नहीं होता।
(७) क्या पूजा फल फूल से करते हैं, किन्तु वह तो हमारे यहाँ निषिद्ध है?
उ० उनके दिव्य फल – फूल होते हैं जो सचित्त नहीं होते और हमारे फल – फूल सचित्त होने से दोष युक्त हैं।

(८) इतने सारे देव गति के जीव एक साथ पूजन कैसे करते हैं?
उ० कल्पवासी देव पूर्व दिशा में, भवनवासी देव दक्षिण दिशा में, व्यंतर देव पश्चिम दिशा में और ज्योतिषी देव उत्तर दिशा में पूजा करते हैं। और हर 6 घंटे के बाद दिशा बदलते हैं। इसी तरह 4 दिशा के जिन प्रतिमाओं की पूजा करते हैं।
(९) 52 अकृत्रिम जिन चैत्यालयों में कितनी जिन प्रतिमाएँ होती हैं?
उ० बावन अकृत्रिम जिन चैत्यालयों में 108 – 108 जिन प्रतिमाएँ होती है। कुल 5616 जिन प्रतिमाएँ।

(१०) नंदीश्वर द्वीप के सिवा कौन-से द्वीप में (ढाई द्वीप के बाहर) अकृत्रिम जिन चैत्यालय होते हैं?
उ० 11वाँ कुण्डलवर द्वीप तथा 13वाँ रुचकवर द्वीप है। इनमें भी 4-4 अकृत्रिम जिन चैत्यालय हैं।
(११) जिनप्रतिमाओं के आकार और रूप के बारे में बताएं?
उ० सभी प्रतिमाएँ 500 धनुष की होती हैं, पद्मासन अवस्था में होती हैं और अत्यन्त प्राकृतिक रूप में जैसे हम-आप दिखते हैं वैसी ही होती हैं।

(१२) कौनसे तीर्थंकर की प्रतिमाएँ होती हैं?
उ० अकृत्रिम होने से किसी निश्चित तीर्थंकर की प्रतिमाएँ नहीं होती हैं। मात्र वीतरागी, सर्वज्ञ एवं हितोपदेशिता से पूजनीय होती हैं न कि किसी कथा के कारण से।

संकलनकर्ता नन्दन जैन