वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री 108 #वर्धमानसागर जी महाराज : 32 वाँ आचार्य पदारोहण दिवस : आषाढ़ सुदी दूज

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1951

बिंदु से सिंधु
चारित्र चक्रवाती आचार्य श्री 108 शांति सागर जी महाराज की मूल अक्षुण्य पट्ट परम्परा के पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज का आषाढ़ सुदी दूज, दिनांक 11 जुलाई 2021 को 32वां आचार्य पदारोहण दिवस है।
आचार्य श्री ससंघ कोथली, कर्नाटक में विराजमान है।

नाम श्री यशवंत पंचोलिया

माता-पिता श्रीमती मनोरमा श्री कमल चंद जी

जन्म स्थान सनावद 18 सितंबर सन 1950 भादवा सुदी सप्तमी

लौकिक शिक्षा B A
व्रत सन 1967 में मुक्तागिरी में 5 वर्ष का ब्रह्मचर्य व्रत एवं शुद्ध जल भोजन करने का नियम
1968 में आचार्य विमल सागर जी से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत
सन 1968 में गृह त्याग

मुनि दीक्षा सन 1969 में मुनि दीक्षा 24 फरवरी 19 69 को मात्र 19 वर्ष की उम्र में श्री महावीरजी में आचार्य धर्म सागर जी से मुनि दीक्षा अंगीकार की

आचार्य पद 24 जून 1990 को पारसोला में आचार्य श्री अजीत सागर जी के लिखित आदेश अनुसार आचार्य पद ग्रहण किया

मुनि दीक्षा प्रथम मुनि प्रथम मुनि श्री ओम सागर जी सहित 30 मुनि दीक्षा

आर्यिका। दीक्षा प्रथम आर्यिका श्री वैराग्य मति माताजी सहित 33 आर्यिका दीक्षाएं

ऐलक। दीक्षा प्रथम ऐलक श्री नमित सागर

क्षुल्लक। दीक्षा प्रथम क्षुल्लक श्री नम्र। सागर जी सहित 13 दीक्षाएं

क्षुल्लिका दीक्षाये प्रथम क्षुल्लिका श्री अचल मति जी सहित 10 दीक्षाये

13 का अशुभ अंक बना शुभ
आपके जन्म के पूर्व 8 भाइयों एवम 4 बहनों ने जन्म लिया बाद में 1 भाई सहित 14
पूर्व एवम बाद के अभी कोई भी जीवित नही है।। 13 का अंक शुभ बना

आप मानव से महामानव तृतीय। परमेष्टि। आचार्य हो गए जगत के तारन हार। हो गए

पावन वर्षायोग
आपने सन 1969 से। सन। 2021 53 वर्षा योग कोथली सहित सिद्ध क्षेत्र अतिशय क्षेत्र राजधानी महानगर पंच। कल्याणक भूमि पूर्वाचार्यो की जन्म भूमि में किये है

पंच कल्याणक
आपने। देश के कितने नगरों में पंच कल्याणक प्रतिष्ठाये। कराई है लगभग 60 प्रतिष्ठाये कराई है
उल्लेखनीय यह है कि कितने स्थान पर लधु पंच कल्याणक भी कर समाज को मितव्यवता का संदेश भी दिया। है

आचार्य। पदारोहण सन 1990 से। वर्ष। 2020 तक। 31 वे आचार्य पदारोहण। सिद्ध अतिशय क्षेत्र महानगर जंगल मे भी हुए। है

सल्लेखना समाधि आपने। संध के साधुओ अन्य संध के साधुओ। अणुव्रती। श्रावक श्राविकाओं। की सल्लेखना समाधि कराई। है
चाहे आचार्य हो साधु। हो गंभीर रोग क्षय रोग हो या अन्य पूर्ण समर्पण वात्सल्य करुणा पूर्वक सेवा कर उत्कृष्ट समाधि कराई। है
उत्कृष्ट समाधि होने पर भव्य आत्मा। अगले। 8 भव। में सिद्ध परमात्मा बन जाता है

संत समागम आपने कई। आचार्यो। साधुओ आर्यिका माताजी। के समागम दर्शन से जीवन को परिवर्तित किया। आचार्य श्री धर्म सागर जी
आर्यिका श्री सुपार्श्व मति जीआर्यिका श्री ज्ञानमती जी
आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी
आचार्य श्री विमल सागर जी
आचार्य श्री ज्ञान सागर जी
आचार्य श्री देश भूषण जी
आचार्य श्री विद्यानंद। जी
आचार्य श्री संभव। सागर जी
आचार्य श्री विद्या सागर जी के मुनि अवस्था मे आचार्य श्री पुष्प दंत सागर जी जिन्होंने पारसोला में आचार्य पद के संस्कार किये
सहित अनेक आचार्यो का समागम मिला

राजनेताश्री श्रवणबेलगोला महामस्तकाभिषेक में भारत के राष्ट्रपति जी प्रधानमंत्री। जी मुख्यमंत्री जी। राज्यपाल सहित कितनो ने आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन को धन्य बनाया

सिद्ध। क्षेत्र आपने अनेक सिद्ध क्षेत्रो के दर्शन किये वहाँ दीक्षाये। पंच कल्याणक समाधि। चातुर्मास वर्षायोग। आचार्य पदारोहण पंचामृत महामस्तकाभिषेक कराए है। श्री सम्मेदशिखर जी श्री चम्पापुर। श्री तारंगा जी। श्री कुंडल पुर। श्री सिद्धवरकूट श्री बावन गजा जी श्री पावगिरी। उन मांगी तुंगी। सहित अनेक क्षेत्र। है। जिनके नाम छूट रहे। है

राज्य अपने आपने अभी तक राजस्थान देहली गुजरात हरियाणा उत्तर प्रदेश। कर्नाटक महाराष्ट्र तमिलनाडु पश्चिम बंगाल मध्यप्रदेश झारखंड। बिहार पांडिचेरी छत्तीसगढ़ आदि अनेक नगरों में 40000 किलोमीटर से अधिक पैदल यात्रा की है। उत्तर हो या दक्षिण पूर्व हो या पश्चिम। या मध्य क्षेत्र। हो

महा मस्तक अभिषेक श्रवणबेलगोला में वर्ष 1993 सन। 2006 वर्ष 2018 में तीन बार श्री बाहुबली भगवान का पंचामृत महिला महामस्तकाभिषेक आपके प्रमुख सानिध्य मार्ग दर्शन में हुआ
वर्ष 2018 में महामस्तकाभिषेक में 86 से अधिक आचार्य संधो के 36 से अधिक आचार्यो सहित 380 से अधिक साधु सम्म्लित हुए
आचार्य श्री शांति सागर जी की परंपरा में महामस्तकाभिषेक हो श्री चारुकीर्ति जी स्वामी की भावना को आपने स्वीकार किया

तपस्या। का अतिशय
1 पानी की व्यवस्था गुजरात में आहार के लिए पानी कुए का पानी लबालब हुआ

2 श्रवणबेलगोला में 1993 में मूसलाधार वर्षा से पानी की समस्या दूर

3 कोथली में प्रवेश के पूर्व नदी नाले कुवैत पानी से लबालब

4 कमंडल के पानी से श्रावक बालक को नया जीवन मिला

5 मैं हूं ना मुनि श्री। हितेंद्र सागर जी को कहकर हिम्मत और संबल दिया

उपाधियां पंचम पट्टाधीश , जिन धर्म प्रभावक , राष्ट्र गौरव , तपोनिधिनिधी, वात्सल्य वारिधि ,परंपरा के परम्परा चार्य

रजत कीर्ति महोत्सव – आचार्य पदारोहण के 25 वर्ष पूर्ण होने के पूर्व किशनगढ़ में रजत कीर्ति महोत्सव किशनगढ़ में तथा चातुर्मास के लिए निवेदन करने 1008 यात्री कुण्डलपुर गए
तथा किशनगढ़ में अखिल भारत स्तरीय कार्यक्रम मनाया गया

पैर में चक्र- कनक गिरी में आपके पैर में कष्ट होने पर भट्टारक स्वामी जी ने देखा कि आपके पैर में चक्र है जो कि इस बात का सूचक है कि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के द्वारा जैन धर्म का प्रचार-प्रसार और बहुत प्रभावना होगी

अद्भुत संयोग
बारह संतानों के निधन के कारण माता-पिता ने श्री महावीरजी में उल्टा स्वस्तिक बनाकर उनके लंबे जीवन की कामना की थी
यह संकल्प किया था कि इनके जन्म के बाद इनके बाल उतारेंगे इनके बाल निकालेंगे
संयोग कहें कि इनकी मुनि दीक्षा वही श्री महावीरजी में हुई और उनके केश लोचन हुए

अनोखा संयोग
जयपुर एक ऐसा नगर है जहां पर पांच पूर्व आचार्य श्री ने चातुर्मास किया है- आचार्य शांतिसागर जी, आचार्य श्री वीर सागर जी ,आचार्य श्री शिव सागर जी , आचार्य श्री धर्म सागर जी, आचार्य श्री अजीत सागर जी , तथा आचार्य श्री वर्धमान सागर जी , अन्य किसी नगर में ऐसा उदाहरण देखने को नहीं मिला

संस्मरण
पद के प्रति उदासीनता
उपाध्याय पद लेने से इनकार
आचार्य पद के लिए भी लेने से मना किया
समाज में कैंची नहीं सुई बनकर
इचलकरंजी सहित अनेक नगरों की समाज को एक किया
अपूर्व वात्सल्य बीमार श्रावक को दर्शन देने स्वयं चलकर गए टोडारायसिंह में दिगंबर श्वेतांबर समाज को एक किया
शिखरजी में क्षुल्लक श्री जितेंद्र सागर जी के पैरों और हथेलियों के स्वयं ने मालिश की देवता करे पानी की इंतजाम

पूर्वाभास
पूर्वाभास के कारण एक स्थान पर रात्रि विश्राम नहीं किया मैरिज गार्डन के कारण कुछ श्रावको ने वहां विश्राम किया उस गांव के बारूद फैक्ट्री में अचानक आग लगती है
और सभी श्रावक रात्रि में आचार्य श्री के पास पहुंचते हैं। तब पता लगता है कि रात्रि को गांव में आग लग गई थी और जान माल का खतरा हो गया था

जंगल में मंगल
नगरों से। दूर महावीर जयंती शहर के बाहर साधुओं की सुविधा को देख कर महावीर जयंती मनाई
चातुर्मास
पंचम पट्टाधिश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ससंघ कोथली कर्नाटक में विराजित है
1 1990 पारसोला
2 1991 गिंगला
3 1992 तलोद
4 1993 होसदुर्ग
5 1994 श्रवण बेलगोला
6 1995 सांगली
7 1996 उदयपुर
8 1997 सलूम्बर
9 1998 भीलवाड़ा
10 1999 लूणवा नागौर
11 2000 निवाई
12 2001 धरियावद
13 2002 उदयपुर
14 2003 भींडर
15 2004 पारसोला
16 2005 श्रवण बेलगोला
17 2006 तिरुमलै
18 2007 श्रवण बेलगोला
19 2008 सम्मेद शिखर जी
20 2009 चम्पापुर
21 2010 कोलकत्ता
22 2011 सम्मेद शिखर जी
23 2012 आहार जी M P
24 2013 कुण्डलपुर
25 2014 किशनगढ़
26 2015 निवाई
27 2016 सिद्धवरकूट
28 2017 श्रवण बेलगोला
29 2018 श्रवण बेलगोला
30 2019 कोथली
31 2020 बेलगाँव
32 2021 कोथली

आषाढ़ सुदी दूज। इस वर्ष 11 जुलाई 2021 को है
— राजेश पंचोलिया इंदौर