यह प्रतिमा तीर्थंकर के समवसरण में विराजमान होने की धोतक है, क्यूंकि समवसरण में विराजमान भगवान को दसों दिशाओं से देखा जाता है तो भी भगवान की मुखाकृति स्पष्ट दिखती है ।इस तरह की कलाकृति की प्रतिमाऐं अब नही बनती है।
हर मंदिर में गुल्लक और बस एक रुपया रोज… निश्चित बदल...
19 सितंबर 2024/ अश्विन कृष्णा दौज /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आज हर की जुबान पर एक ही बात है कि तीर्थों की सुरक्षा...