आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी को किया सब से अलग अंदाज़ में चैनल महालक्ष्मी ने अनुरोध – Ban_Anop_Mandal -नफरत फ़ैलाने वालों का करो पर्दाफाश

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दिनांकः 2 जून 2021

आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी
भारत के प्रथम सेवक एवं जागरूक चौकीदार
भारत सरकार
नई दिल्ली

विषयः साम्प्रदायिकता के बारूद में चिगांरी लगाने का कुत्सित षडयंत्र

माननीय महोदय,

सादर जय जिनेन्द्र

सबसे पहले हृदय से क्षमा मांगता हूं, कि 130 करोड़ भारतीय या पूरे विश्व की भांति आपको ‘‘प्रधानमंत्री’’ शब्द से संबोधित नहीं किया। इसका कारण भी है क्योकि हमारे देश के प्रधानमंत्री इस समय चौबीसो घंटे विभिन्न समस्याओं से एक वीर सपूत की भांति जुझारू रूप से लड़ने में व्यस्त हैं, भारत के सुनहरे कल के लिये।

बस इसी कारण, मेरे हृदय ने भारत के प्रथम सेवक और हमारे जागरूक चौकीदार महोदय का स्मरण किया, जिन्होने दो वर्ष पहले गर्व से कहा था, ‘‘मै भी चौकीदार हूं’’ और उनके इन शब्दों पर लाखों, इन्ही शब्दो के साथ उठ खड़े हुए, ‘हां, मैं भी चौकीदार हूं।

जी हां, मैं भी भारत माता का छोटा-सा सपूत और जिसने जैन धर्म में जन्म लिया, उसी का सेवक और ठक-ठक करती लाठी रूपी कलम के साथ ‘‘चौकीदार’’। बस इसीलिये, आपके अमूल्य समय की आधी घड़ी का समय लेने का साहस कर रहा हूँ ।

हमारे आदरणीय, आपसे विनम्र अनुरोध कर रहा हूं कि, पश्चिमी भारत के गुजरात, राजस्थान और कुछ महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में नफरत, द्वेष, तनाव, हिंसा भड़काने का जहर घोलने का कुत्सित षडयंत्र हो रहा है। जब पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी से निजात पाने के लिये जूझ रहा है, जिसके जन्म की कहानी चीन के वुहान शहर की चर्चित लैब से शुरू होती है, व कहीं एक कथित ‘‘अनोप मण्डल’’ जो न भगवान श्रीराम में, न भगवान श्रीकृष्ण में विश्वास रखता है, वह मेले लगाकर चिट्ठियां भेजकर अनर्गल मिथ्या प्रचार में लगा है कि कोरोना जैनी लाये हैं। यहीं नहीं, वह तो प्राकृतिक विपदाओं और गंभीर बीमारियों का जन्मदाता भी जैन धर्म, जैन साधुओं को बताता हुआ, अहिंसक जैन समाज के साधुओ के फोटो-पुतले फूंकता हुआ, भोले भाले लोगो में साम्प्रदायिक तनाव को तूल दे रहा है। ऐसे में जबकि साम्प्रदायिक तनाव रूपी बारूद चारो तरफ फैलाया जा रहा है, जिसमें फेंकी गई एक चिंगारी भी बहुत बड़ा नुकसान कर सकती है।

जी हां, आदरणीय, यह हमारे देश के प्रधान मंत्री का कार्य, कम से कम इस समय नहीं है, इसीलिये मैनें हमारे प्रथम सेवक और जागरूक चौकीदार के आगे कर जोड़ निवेदन किया है। आपकी ‘‘जागते रहो’’ की बुलंद आवाज आपकी कार्य शैली रूपी लाठी की बुलंद ठक-ठक, हमें असमय की निद्रा से जगाये रखती है।

जन्माष्टमी के समय मटकी फोड़ कार्यक्रम के समय अनर्गल बोलने वाले, भागवत गीता-रामायण जैसे पूजनीय ग्रंथो पर भी दाग लगाने वाले तथा विश्व में अहिंसा का संदेश फैलाने वाले धर्म पर लाखो जीवों की हत्या का मिथ्या, अनर्गल आरोप लगा कर राक्षसी ‘विद्या करने वाल शैतान-राक्षस कहकर संबोधन’ जब करते हैं, तो जैन कुल मे जन्म लेने से हृदय में तीखें बाणों की तरह वेदना होती है।

आपसी भाईचारा वैमनस्य में न बदल जाये, प्रेम- सौहार्द के गीत गाने वाला राजस्थान नफरत की दीवारे न खड़ी करने लगे, ऊंचाइयों के शिखर छूता गुजरात, कहीं द्वेष की आग ने सेंकने लगे, बस इसी को रोकने के लिये ‘‘प्रथम सेवक’’ के पास यह निवेदन लेकर आया हूँ, कि आप का एक संकेत ऐसे नफरत फैलाने वाले, भाई-भाई को लड़ाने वाले, हिन्दु-जैन धर्म के प्रति अनर्गल बोलने वालो को, अपनी गलत बातों पर तत्काल विराम लगाने में ‘‘सुदर्शन चक्र’’ बन सके।

विनम्र अनुरोध, हम कथित अनोप मण्डल ट्रस्ट की कारगुजारियों, इनके द्वारा प्रकाशित पुस्तकों (जगत हितकारिणी, न्याय चिंतामणि, मुफीद आम मोसुमब, आत्म पुराण आदि) को तत्काल प्रतिबधित किया जाये, जैसा अदालतों द्वारा 1926, 1940, 1957 में किया था।

आशा ही नहीं, विश्वास है अपने जागरूक चौकीदार व भारत पर पूर्णत: समर्पित प्रथम सेवक से, कि वे उचित कदम उठाने के निर्देश यथा शीघ्र देंगे।

बहुमूल्य समय लिया, हृदय से क्षमा और गर्व से, दिल से कहता हूँ – मैं भी एक चौकीदार हूँ ।

पुनः सादर जय जिनेन्द्र

(शरद जैन)
प्रथम सेवक का सिपाही और अंहिसामयी धर्म का चौकीदार

info@dainikmahalaxmi.com, info@channelmahalaxmi.com

इस पत्र के साथ एक सीडी में उपरोक्त की प्रमाणिकता हेतु निम्न दस्तावेज में संलग्न है, जो आपके द्वारा नियुक्त कोई अधिकारी अवलोकन कर सकता है-