अनोप मण्डल के दुश्प्रचार की जांच कराकर उसे प्रतिबंधित करे शासन #BanAnopMandal

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जैन जिनशासन( राक्षसी शासन) चलाते हैं; यह जिनशासन का पता किसी को नहीं बताते । इनके पाप विद्या करने से संसार में भय, भूख, बीमारियां, भ्रष्टाचार ,आतंकवाद, दंगे व कम उम्र में लोगों की मौत होती है तथा संसार में दुखों का कारण जैन समाज के लोग हैं । यह कहना है अनूप मंडल का।
यह अनोप मण्डल कौन है?

अनूप दास मंडल एक अंग्रेज सेना का सिपाही था । बताया जाता है कि किसी जैन व्यापारी से इस अनोप दास ने पैसे उधार लिए थे पर चुकाने में आनाकानी कर रहा था । उस समय महात्मा गांधी समर्थित प्रजामंडल की राजस्थान इकाई में जैन एवं वैश्य बंधुओं का दबदबा था। प्रजामंडल को दबाने तथा जैन व्यापारी से उधार लिए पैसे हड़पने की नियत से इस अनोपदास मंडल ने अंग्रेजों की शह पर साधु का वेश धारण कर लिया और अनोप मंडल का गठन कर अपने आप को ब्रह्म ज्ञानी होने का दावा करने लगा ।

उसके द्वारा लिखी गई जगत हितकारिणी पुस्तक में जैन एवं वैश्य महाजनों के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप किया गया है और ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें कही गई हैं कि कोई भी विवेक बान पढ़कर अपना सिर पीटे बिना नहीं रहेगा। राजस्थान के मारवाड़ में सिरोही एवं पाली जिले के कुछ हिस्सों में अनोप मंडल नामके उस व्यक्ति ने सन 1920 में इस संगठन की शुरुआत की जो यूरोप के साम्यवाद से प्रभावित था । अनोपदास मंडल ने एक पुस्तक लिखी जो जगतहितकारिणी नाम से जानी जाती है।

यह पुस्तक 1909 में लिखी गई। इस अनूप मंडल की मान्यताएं जगतित कर्णी की शिक्षाओं से बनी है; जिसका अर्थ है दुनिया के कल्याण के लिए । अनूप मंडल की मानसिकता जैन विरोधी रही है । उसके कार्यकर्ताओं द्वारा स्वतंत्र भारत में जैन बहुल गांवों पर छापामार अधिकार जमाने की कोशिश थी पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया । सन् 1991 में एक पुस्तक “ऑडियंस गैदरिंग द जैन्स इन सोसायटी” प्रकाशित हुई है ।

उक्त पुस्तक में अनोप मंडल के विषय मैं विस्तार से वर्णन है । चूंकि राजस्थान में पर्यावरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। यहां के जनजातीय लोग जंगलों को लेकर काफी सहज व गंभीर हैं । उनका जीवन ही वनों से जुड़ा हुआ है । अतः इन भोले-भाले लोगों को दिग्भ्रमित कर अनोप मंडल के कार्यकर्ता बेहद चालाकी से क्लाइमेंट चेंज के विषय से जोड़कर जैन साधुओं के विरुद्ध वातावरण बनाते रहे हैं । इनका कहना है कि इस दुनियाँ में भूकंप और ग्लोबल वार्मिंग के पीछे जैन भिक्षु हैं। जल, जमीन और जीवों को बचाने तथा पर्यावरण सुरक्षा के लिए इस अनोप मंडल ने वर्ष 2002 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर 11 महीनों तक धरना दिया था ।

राजस्थान के सिरोही जिले में भी 8 साल तक धरना जारी रहा है। अनोप मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमृत प्रजापति हैं। भवरलाल डाबी तथा हजारीलाल इन के साथी हैं ; यह लोग बातें तो धरती पर अकाल, अतिवृष्टि, ज्वालामुखी एवं स्वच्छ जल ,स्वच्छ वातावरण की करते हैं जो लोकलुभावन हैं परंतु इसकी आड़ में इनके निशाने पर हमेशा अहिंसा वादी जैन समाज और वैश्य समाज ही रहा है । इन दिनों अनोप मंडल के पदाधिकारियों द्वारा विभिन्न स्थानों पर रैलियां निकाली जा रही हैं जिनमें कोरोना को जैन बनियों ने लाया है जैसे तथ्यहीन नारे लगाकर समाज में वैमनस्यता फैलाई जा रही है।

जैन समाज में इन नारों से तीव्र प्रतिक्रिया हुई है और स्थान- स्थान पर इस संगठन के विरुद्ध समुचित कार्यवाही करने की मांग तेज होती जा रही है । गुजरात के मुख्यमंत्री ने तुरंत एक्शन लेते हुए इस संगठन को गुजरात में प्रतिबंधित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। सुदर्शन न्यूज़ चैनल ने अनोप मंडल के इस कुकृत्य पर सर्वप्रथम संज्ञान लेते हुए अपने चैनल पर बिंदास बोल के नाम से पोल खोल अभियान चला रखा है ।

जैन समाज से जुड़े अनेक साधु-संत , विचारक एवं प्रभावी व्यक्तियों ने सुदर्शन मीडिया के पटल पर अपनी बात रखी और अनोप मंडल के विष बमन अभियान पर गहन चर्चा की। इसके प्रत्युत्तर में अनोप मंडल के अध्यक्ष कुछ भी तथ्य प्रस्तुत नहीं कर सके। यह क्रम सुदर्शन चैनल पर अभी भी जारी है। इस अनूप मंडल द्वारा 500 से अधिक जैन साधु साध्वियों की हत्या का आरोप भी लगा हुआ है इसकी जांच होना अति आवश्यक है। राजस्थान के प्रतिपक्ष के नेता श्री गुलाबचंद जी कटारिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर इनके द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार की जांच करवा कर कठोर कार्रवाई करने की मांग की है ।

जैन समाज की राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न संस्थाओं ने भी अनोप मंडल पर शीघ्र ही प्रतिबंध लगाने के लिए राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री सहित विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री तथा जिलाधीशों को ज्ञापन दिए हैं। अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ शासन से विनम्र अनुरोध करता है कि अनोप मंडल के इस दुष्प्रचार को तुरंत रोके तथा उनके द्वारा फैलाए गए भ्रम पर संज्ञान लेते हुए उस की निष्पक्ष जांच करा कर दोषियों को दंडित करे।

-डा.अखिल बंसल,जयपुर