यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा की संसार का सबसे बड़ा सत्य क्या हैं ?तब युधिष्ठिर ने कहा संसार का सबसे बड़ा सत्य यह हैं की प्रति क्षण मनुष्य मर रहा हैं परन्तु मौत से डरता हैं .इसलिए शायद महाभारत दूधी के बाद लाखों लाख मौतों के बाद उनके निपटान के लिए कितने शवदाह बने हुए होंगे और किसके पास कितना साहस रहा होगा और कौन कौन ने किसको किस को जलाया होगा .
इसी प्रकार रावण राम युध्य में भी बहुत लोग हताहत हुए और मरे होंगे उनका निष्पादन भी कैसे हुआ होगा .
आज कोरोना काल में पुरानी बातों की तो याद नहीं हैं पर आज हमारे यहाँ के श्मशानघाट भी यही गाथा कह रहे हैं .आज हम जीवंत आँखों से देख रहे हैं और उनकी फोटो ,वीडियो देख रहे हैं जो आगामी पीढ़ी के लिए विश्वसनीय आधार होगा .धन्य हैं वे वहां के कर्मचारी.
मृत्यु अत्यंत ही दुखदायी होती हैं ,इन दिनों इलाज़ कराना भी बहुत मुश्किल और उसके बाद दाहसंस्कार भी और कठिन हैं .न जाने इस बीमारी ने क्या रौद्र रूप लिया हैं जो अंतहीन और अनिश्चितता के बीच हिलोरे खा रहा हैं .कौन कब काल के गाल में समां जाये पता नहीं .यह सत्य हैं की इस जमी में अच्छे अच्छे राजा महाराजा समां गए .
राजा राणा छत्रपति हाथिन के असवार ,
मरना सबको एक दिन अपनी अपनी बार .
कहाँ गए चाकरी जिन जीता ,भरतखंड सारा
कहाँ गए वह राम -रु लक्षमण ,जिन रावण मारा .
कहाँ गए रूकिमणी सत्यभामा ,अरु सपति सगरी .
कहाँ गए वह रंगमहल अरु ,सुवरन की नगरी
नहीं रहे वह लोभी कौरव जूझ मरे रन में ,
गए राज तज पांडव वन को ,अगनि लगी तन में
मोह-नींद से उठ रे चेतन ,तुझे जगावन को
हो दयाल उपदेश करे गुरु बारह भावन को .
सूरज चाँद छिपै निकले ऋतू ,फिर फिर कर आवै .
प्यारी आयु ऐसी बीते ,पता नहीं पावै .
पर्वत -पतित -नदी- सरिता -जल ,बहकर नहि हटता .
स्वास चलत यों घटै काठ ज्यों ,आरे सों कटता .
ओस -बून्द ज्यों गले धुप में ,व अंजुली पानी .
छिन छिन यौवन छीन होत हैं क्या समझें प्रानी
इंद्र जाल आकाश नगर सम ,जग -सम्पत्ति सारी
अथिर रूप संसार विचारो ,सब नर अरु नारी
उपरोक्त पंक्तियों के अलावा सभी ग्रंथों में इस सम्बन्ध बहुत कुछ लिखा गया हैं .यह जीवन की सच्चाई हैं पर इस समय मानवीयता का पूरा चीरहरण हो चूका हैं और हो रहा हैं .अस्पतालों की माने तो जगह न होने से मरीज़ों को भर्ती करना कठिन हैं पर कार्य भार अधिक होने से कुछ लापरवाहियां जरूर हो रही हैं पर अस्पताल के डॉक्टर और अन्य कर्मचारी जी जान से सेवा दे रहे हैं .पर कुछ जगह अमानवीयता का व्यवहार किया जा रहा हैं जो निंदनीय और अपराध की श्रेणी में आता हैं .कुछ जगह किराना व्यापारी अपनी सीम से अधिक लाभ ले रहे हैं .
इस समय सभी वर्गों को संयम का पाठ पढ़ना चाहिए पर वर्तमान में हमारे देश के प्रमुख पर उपदेश कुशल बहुतेरे जैसे हैं .एक तरफ दिल्ली में आकर कोरोना ज्ञान देते हैं और कोलकत्ता और चेन्नई आदि में कोरोना का खुला उल्लंघन करते और करवा रहे हैं .यह उनका आपराधिक कृत्य हैं .इसकी सजा वर्तमान में तो कोई नहीं दे सकता हैं पर अगले भव में जरूर दंड भोगना होगा .उनके कारण कितने संक्रमित होंगे उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा .
एक तरफ चुनाव और सिंहस्थ मेला में कितना संक्रमण फैलेगा जो अमानवीयता की श्रेणी में माना जायेगा .अन्य जनता को थोड़ा सा उल्लंघन के कारण दंड दिया जाना उचित हैं पर इन घटनों के लिए जिम्मेदारी किसी को देना चाहिए .
इस समय कालाबाज़ारी करने वाले और अन्याय से धन कमाने वाले मरने के बाद कुछ साथ नहीं ले जाओगे .हां धन जरूर लकड़ी की पेटी में धन रखना क्योकि अंत समय उस पेटी का उपयोग दाहसंस्कार में काम आएगी .जरूर .
इस समय हमें सहयोग करना, मानवीयता का पालन करना और जितना अधिक उपकार ,मदद करेंगे वही काम आएगा .जो लकड़ी देने गए हैं ,जलाने गए हैं उनका भी नंबर आने वाला हैं .यमराज के पाश से कोई नहीं बच सकता हैं .कोई कहीं भी रहे चाहे समुद्र के अंदर या सात कोठों के भीतर या हवा में कोई नहीं बचा हैं और न बचेगा .देर सवेर होगी पर होगी अवश्य मौत .मौत से कोई नहीं बचा हैं .
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इन घटना से अमानवीयता बढ़ती जा रही हैं ,वह व्यक्ति आज संवेदनशील है जिसके ऊपर विपत्ति आयी हैं बाकी तो सहानुभूति भी दिखाना नहीं चाहता .जैसा राजा वैसी प्रजा .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन ,संरक्षक शाकाहार परिषद्