पद्मपुराण पर्व इक्यासी में मां का बेटे के लिए संदेश और बेटे का मां के चरणों मे आने का प्रसंग हम सब के लिए प्रेरणा देने वाला है। इससे हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि मां-बेटे का पे्रम कैसा होना चाहिए।
कौशल्या (अपराजित) का संदेश लेकर नारद राम के पास पहंुचे और राम को कहा कि तुम्हारी माँ रात-दिन आंसू बहाती है। वह इतना रोती है कि पत्थर भी पिघल जाए। आप जैसे महापुरुष के होते हुए वह माता कष्ट क्यों उठा रही है? आप को माता के दर्शन करने चाहिए।
तब राम ने उत्तर दिया और कहा कि हे ऋषि आपने हमारा उपकार किया। पता नही किस खोटे कर्म के उदय से हम लोग माता को भूल गए। आपने हमें स्मरण करवा दिय। इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। वास्तव में संसार में वही मनुष्य बड़ा पुण्यशाली है जो माता का विनय में तत्पर रहे और किंकर भाव के साथ सेवा करता रहे।
इतना सब होने के बाद राम ने विभीषण को बुलाकर लक्ष्मण, भामण्डल, सुग्रीव के सामने कहा कि हम इस इन्द्र भवन में बहुत समय रहे अब माता के दर्शन के लिए अयोध्या जाना चाहते हैं जिससे माता को शांति मिल सके। विभीषण ने कहा कि आप को जो सही लगे वह आप करें। आप के मन को शांति मिलनी चाहिए यही भावना है हमारी।
अनंत सागर