क्षमता से ज्यादा इच्छा कर लेते है, इतनी इच्छाए नहीं करें कि हम कल दुखी होना पड़े : मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी

0
489

19 मई 2021- देशनोदय चवलेश्वर – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव तर्क वाचस्पति108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
व्यक्ति का कल्याण नहीं हो सकता कर्म ने मुझे बांधा है जो कर्म जैसा करायेगा मेरे को करना है

1.इच्छा पुरी नहीं दुश्मन बन-हमने इतनी इच्छाएं कर लेते हैं, फिर जब इच्छाएं पूरी नहीं कर पाते तो हम एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं, हम एक दूसरे के लिए सब कुछ करने को तैयार हैं, एक दिन वही व्यक्ति हमारा सर्वनाश करेगा, इसलिए अपनी जिंदगी को अपने बेटे को सब कुछ नहीं मानना है,
अपनी जिंदगी की एक इकाई मानना है कि सुकौशल की माता ने सब कुछ अपने बेटे को सौंप दिया, बेटा जब माता के विरोध में गया तो माता ने बेटे को श्यालनी बनकर खा लिया।

2.इच्छा ज्यादा-मेरी शक्ति नहीं है फिर भी मुझे शक्ति से ज्यादा कार्य करते हैं ,हम शक्ति से ज्यादा उम्मीदें कर लेते हैं, जितनी शक्ति है हम सबसे बड़ी इच्छाओं को कर लेते हैं, क्षमता से ज्यादा इच्छा कर लेते है, इतनी इच्छाए नहीं करें कि हम कल दुखी होना पड़े, हमें क्षमता से ज्यादा इच्छाएं कर ली है इसलिए हम दुखी हैं।

3.कर्म के अनुसार चलना-जब हमें कभी ऐसा लगे कि अनिष्ट का सयोंग नहीं है मेरी जिंदगी में बहुत कष्ट है, यह भय डर हमें कर्म के गुलाम हैं, मैं मर नहीं जाऊं परिवार नहीं चला जाए, हर क्षण में कोई ना कोई भय बना हो, कभी भी भय से मुक्ति नहीं हो हम शक्तिशाली होकर भी कर्म से डर रहे हैं कर्म ने मुझे बांधा है या मैंने कर्म को बांधा है

तब-तब हमारे लिए कुछ ना कुछ डर होगा, बांधने वाला जैसा करेगा वैसा हमको करना पड़ेगा, हमको वैसा करना पड़ता है, मन में यह भाव आ चुका है, कर्म ने मुझे बांधा है, कर्म हमें रुलाता है, यह हमारी धारणा मिटाना है ,कर्म को मैंने बांधा है,कर्म ने मुझे बांधा है, यह निमित्त बुद्धि हैं, व्यक्ति का कल्याण नहीं हो सकता, जो कर्म जैसा कराएगा मेरे को करना है, चाहे भगवान भी कर आता है ,तब हमें स्वतंत्रता का अनुभव नहीं होता है।

प्रवचन से शिक्षा-अपनों से ज्यादा इच्छाएं नहीं करना है।
सकंलन ब्र महावीर