13 मई 2021, देशनोदय चवलेश्वर – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव रिद्धि सिद्धि भक्तामर मंत्रों के निर्देशक 108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
अपनी जिंदगी को आदर्श बनाओ, अपनी हर क्रिया को आदर्श बनाओ, सबसे बड़े आदर्श बन जाओगे
1.ज्योतिष-भविष्य की सफलता चाहते हो तो, आप ज्योतिष मत समझना, क्योंकि यदि पता चले कि कल बुरा होगा, तो मन खराब हो जाएगा, कार्य करने की शक्ति खत्म हो जाएगी, यदि यह पता चले कि कल अच्छा है, कुछ करने की इच्छा नहीं होती है, जो होगा अच्छा होगा, जो करेगा, वो भरेगा,
भगवान सब कुछ जानते हैं, फिर भी कहा सावधानी से करो, यदि सब कुछ नियत हो जाएगा, तो व्यक्ति निकम्मा हो जाएगा, भविष्य निश्चित भी हो, तो भी उसको व्यक्ति को करने दो, पढ़ाई करने दो।
2.तत्व संभाल लिया जीव संभल-आत्मा तत्व है, आत्मा त्रिकालिक नहीं होती, आत्मा एक तत्व है ,आत्मा को जानो, आत्मा आत्मा में रहो, जीव के लिए नहीं कहा कि क्योंकि तत्व को संभालना है।तत्व को संभाल लिया और जीव को भी संभाल लेता है, पदार्थ अपने आपको संभाल लेगा।
3.तत्व को संभालना-द्रव्य त्रिकालीक है, जीव है, तो है नियत है, इसमें कुछ भी परीवर्तन नहीं कर सकते,बीज बोने के बाद जो मेहनत करता वह तत्व हैं, फल पदार्थ हैं, बीच की सभी प्रक्रिया तत्व है, जो प्रमाण पत्र पुरस्कार है, वह आपको मिलेगा, वेतन मिलेगा, जो पर्दाथ है महीने भर की मेहनत है, वह तत्व है, तत्व को संभालना कठिन है।
4.आदर्श-श्रेष्ठ बनने के लिए हमारी क्रियाएं भी श्रेष्ठ होनी चाहिए, महान बनने के लिए भी क्रियाएं भी महान होनी चाहिए, आदर्श बनने के लिए क्रियाएं भी आदर्श होनी चाहिए, जिस की बातें सुने, वो आदर्श हो जाए,
जो कहे वह आदर्श हो जाए, देखने में जो आए वह आदर्श हो जाए, आपका जन्म आदर्श हो जाए, उनके जन्म जहा हो वहां आदर्श माता पिता भी आदर्श हो जाए,कुटम्बी भी आदर्श हो जाएं,भूमि भी आदर्श हो जाएं,जिस काल में जन्म लिया वो काल आदर्श हो जाए
प्रवचन से शिक्षा-तत्व को संभालना है पदार्थ तो पुरस्कार है द्रव्य त्रिकालीक हैं।
सकंलन ब्र महावीर