एक गांव ऐसा जहां 99 प्रतिशत लोग मानते हैं जैन सिद्धांत’
जैन धर्म का अंहिसा का सिद्धांत पूरी दुनिया में अपनी एक पहचान रखता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस अंहिसा के सिद्धांत के बूते ही देश को आजादी दिला दी। जैन धर्म के सिद्धांतों की पालना करना आसान नहीं है, लेकिन एक बार जो व्यक्ति इन सिद्धांतों की गहराई में जाता है, वह इनसे अभिभूत हुए बिना नहीं रहता और हमेशा के लिए इनसे जुड़ जाता है। आज बात एक ऐसे ही गांव की, जहां वैसे तो हर धर्म, सम्प्रदाय के लोग रहते हैं, लेकिन इनमें से 99 प्रतिशत परिवार जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करते है। इस गांव में मांस, मदिरा की एक भी दुकान नहीं है और घर के बाहर भगवान महावीर की तस्वीर और णमोकार मंत्र लगा हुआ है।
यह गांव कोई बहुत दूर नही है। यह गांव है बड़ौड़ा जो देश की देश की राजधानी दिल्ली के पास हरियाणा राज्य के जींद जिले की नरवाना तहसील में स्थित है। गांव मूलतः जाटों का गांव है। यहां की जनसंख्या करीब 20 हजार है और इनमें ब्राहम्ण, बनिया, मुसलमान, हरिजन, कुम्हार हर जाति, सम्प्रदाय के लोग है। मुख्य काम खेती है, लेकिन ये सभी जैन धर्म के सिद्धांतों का पूरा पालन करते हैं। यह पूरी तरह से शाकाहारी गांव है। पूरे गांव में आपको मांस, मदिरा कहीं नहीं मिलेगी। बताते हैं कि इस गांव में 150 वर्ष पहले जैन धर्म का अंकुर फूटा था। यहां दो जैन संत आए थे। उन्होंने इसी गांव के एक बच्चे मायाराम के हाथ की रेखाएं देखी तो कहा कि यह कुछ अनोखा काम करेगा। मायाराम बडे होकर जैन संत बने और तभी से इस गांव से जैन धर्म की ऐसी धारा बही जो आज तक जारी है। यहां से अब तक 44 महाराज बन चुके हैं। यहां की संत परम्परा को गांव में ही लगे एक बोर्ड पर दर्शाया भी गया है। जो भी इस गांव में वह जैन धर्म को स्वीकार करता है। यहां तक कि मुस्लिम भी सामायिक व अष्टान्हिका तक करते हैं। इस गांव के लोग कहते हैं कि इससे अच्छा धर्म नहीं है जो अंहिसा और शाकाहार की बात करता है।
यह गांव पूरे जैन समाज के लिए एक प्रेरणा है। आज हमारे बहुत से जैन परिवार भी जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन नहीं करते, लेकिन इस गांव में हर जाति सम्प्रदाय का व्यक्ति अहिंसा और शाकाहार की बात करता है। संतों की परम्परा और उनकी बात को मानता है। हमें इस गांव से प्रेरणा लेनी चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि हम भी जैन धर्म के सिद्धांतों की इसी तरह प्रभावना करें, ताकि सभी लोग अहिंसा और शाकाहार से जुडें।
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)