१० भवनवासी संबंधी अकृत्रिम चैत्यालय
असुरकुमार~देवों के भवनों में ६४ लाख चैत्यालय हैं।
नागकुमार~देवों के भवनों में ८४ लाख चैत्यालय हैं।
सुपर्णकुमार~देवों के भवनों में ७२ लाख चैत्यालय हैं।
द्वीपकुमार~देवों के भवनों में ७६ लाख चैत्यालय हैं।
दिक्कुमार~देवों के भवनों में ७६ लाख चैत्यालय हैं।
उदधिकुमार~देवों के भवनों में ७६ लाख चैत्यालय हैं।
स्तनिकुमार~देवों के भवनों में ७६ लाख चैत्यालय हैं।
विद्युतकुमार देवों के भवनोंमें ७६ लाख चैत्यालय हैं।
अग्निकुमार~देवों के भवनों में ७६ लाख चैत्यालय हैं।
वायुकुमार~देवों के भवनों में ९६ लाख चैत्यालय हैं।
भवनवासी देवों संबंधी अकृत्रिम चैत्यालय की सम्पूर्ण संख्या ७ करोड़ ७२ लाख है।
व्यंतर देवों संबंधी सम्पूर्ण अकृत्रिम चैत्यालय असंख्यात हैं।
इस प्रकार उर्ध्व लोक के अकृत्रिम चैत्यालय की संख्या ८४ ९७,०२३(चौरासी लाख सत्तानवें हजार तेईस) है।
मध्यलोक संबंधी सम्पूर्ण अकृत्रिम चैत्यालय की संख्या ४५८ है।
अधोलोक संबंधी संपूर्ण अकृत्रिम चैत्यालय की संख्या ७ करोड़ ७२ लाख है।
इस प्रकार ८४,९७,०२३+४५८+७,७२०००००=८ करोड़ ५६ लाख ९७ हजार ४८१ तीन लोकों के अकृत्रिम चैत्यालय हैं।
इन तीनों लोकों के अकृत्रिम चैत्यालय और उनमें विराजमान समस्त जिन~प्रतिमाओं को मेरा मन वचन काम से त्रिकाल में त्रिबार नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु
साभार – वंदे श्री वीरशासनम्