जब भी किसी ऊंचे शिखर को छूते हैं, तो खुशियां अपने परिजनों में बांटने का मन तो करता ही है। बस ऐसी ही एक खुशी महालक्ष्मी परिवार के बीच हुई, जब ढाई साल के जीवन में एक और ऊंचाई को छुआ, जी हां, चैनल महालक्ष्मी को देखने वालों में से लगभग 18 प्रतिशत ने सब्सक्राइब कर इसे एक लाख के शिखर तक पहुंचा दिया। कह सकते हैं कि इस ढाई साल की ‘न्यूज दुल्हन’ का घूंघट उठाकर देखने वाले 6 लाख से ज्यादा हैं, पर अपने दिलों में बैठाने वाले अब एक लाख को पार कर गये।
इन 30 माह में हमने कई बिंदुओं को छूकर जैन समाज में उस खाली स्थान को भरने का प्रयास किया जिसे कहते हैं ‘जैन समाचार’, बिना किसी आर्थिक नींव के, यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। पर संस्थापक स्व. श्री श्री किशोर जैन की जगाई अलख ने इस मुकाम तक पहुंचाया।
इसे 1.20 करोड़ ज्यादा बार देखा गया यू-ट्यूब पर यह न्यूज चैनल, जो जैन समाचारों के लिये आज सबसे लोकप्रिय हो गया है, इसके लिये धन्यवाद के पात्र हैं आप सब, जिन्होंने हिम्मत बंधाई। किसी भी शिखर को अंतिम नहीं माना जा सकता, यह तो बहुत छोटी दूरी तय की है।
चाहे समाचार हो, या हमारी अनमोल संस्कृति, धरोहरें, इतिहास या चिंतन। हर बिंदू को छूने का प्रयास किया। शिथिलाचार जैसे मुद्दे, जिसे जैन समाज का एक बड़ा वर्ग आज भी छिपा कर रखने का हिमायती है, उनके सम्मुख गल्तियों, भूलों और बढ़ते अनाचार को उठाना, लोहे के चने जैसा अनुभव रहा। कितने ही हमारे मंदिर/ तीर्थ बदले गये, लूटे गये, क्षतिग्रस्त किये गये, इस पर अगर आज कोई जागृति ने अंगड़ाई ली है, तो उसका एक श्रेय तो ‘महालक्ष्मी चैनल’ को जाता ही होगा।
हर समाचार सभी के लिये खुशी नहीं दे सकता, जिस तरह परोसे गये दस व्यंजनों में सब आपके मनपसंद हो। इसी कारण से आलोचना भी खूब मिली और वहीं समालोचक, जो आज हमारी सफलता के आधार हैं।
जैन विचारों का प्रसार, अपनी अनमोल संस्कृति – विरासतों की जानकारी व कुछ गलत हो तो उठे आवाज, ये लक्ष्य कल भी थे और कल भी रहेंगे।
सप्ताह में एक बार आपके बीच आना शुरू किया – हर रविवार ‘झरोखा’, पर आपने पलकों पर बिछाये रखा, उसी के बल पर आज अब रोजाना रात्रि 8 बजे यू-ट्यूब पर आने का साहस कर पाये हैं। इस ढाई साल में 13 महीने के कोरोना काल में जहां पूरी दुनिया दूरियां बनाने की बात करती रही, वहीं आपकी हमसे नजदीकियां बनती रही। खुशनसीब हैं हम, कि आप जैसे सुधि दर्शक मिले।
हां, इन 30 माह में गल्तियां भी हमने की, उन्हें स्वीकार करते हैं, कभी जानकारी की प्रमाणिकता में चूक, कभी शब्दों की सीमा लांघ जाना, कभी नेगेटिव रिपोर्टिंग और एक शब्द जो हमें दिया गया ‘मुनि निंदक’, स्पष्ट करना चाहेंगे कि निंदा करना नहीं, सही गलत, नकली-असली की पहचान कराना ही लक्ष्य रहा है और रहेगा।
किसी के दिल को ठेस पहुंचाना, कभी नहीं चाहा, पर हमारा मीठा-नमकीन समाचार शुगर व बीपी वाले दर्शकों के स्वास्थ्य के अनुकूल जरूर नहीं रहे होंगे। आपकी समालोचना हमें सुधारने और आगे बढ़ने में मील का पत्थर बनेगी, यही आशा रखते हैं।
और जाते-जाते बस यही कहेंगे, इस दुल्हन का बार-बार घूंघट उठाकर देखने वाले, जरा दिल में बसा कर रखिये, आपको आनंद देने का वादा है हमारा।
जय जिनेन्द्र।
शरद जैन, सम्पादक चैनल महालक्ष्मी