28 अप्रैल 2021 देशनोदय चवलेश्वर-निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव जिन धर्म प्रभावक108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
आपको सब सब इज्जत सम्मान देंगे आपको यह सोचना है मैं अपनी जिंदगी में जो आए हैं उनके लिए कुछ कर पाया
1.विराम कैसे-सब कुछ देख चुका हूं भगवान नासा दृष्टि कर लेते हैं क्योंकि उनके मन में विकल्प आता है सब कुछ देख चुका हूं जो आंख से देख चुका हूं मेरी आंख विराम चाहती है आंखें बंद कर ली ओर जो आंख से नहीं देख सका वह आंख बंद करने पर ही दिखगी बोलने को विराम दिया अपने किए हुए कार्य में पूर्ण हुए एक बार आपने जिंदगी में मरने के पहले विराम देना हैं।
2.हमने सब को क्या दिया-आपको सब सब इज्जत सम्मान देंगे आपको यह सोचना है मैं अपनी जिंदगी में जो आए हैं उनके लिए कुछ कर पाया पेड़ को पत्थर मारे पेड़ ने हमे आम दिया हमने दुनिया में जो हमसे जुड़ा हम ने क्या दिया,पेंड हवा जल ने आपको बहुत कुछ दिया हमने उनको क्या दिया।
3.विराम कब-क्या आपका मन संतुष्ट हैं कि मैं अपने आप में पूर्ण मन कोई ना कोई इच्छा करता रहता है मरते दम तक भी करता जाता है पापी से देवता ने पूछा तूने सब बुरे कार्य किए अगले भव मे क्या चाहिए इस भव मे बहुत बुरे कार्य में किया अगले भव को में अच्छे कार्य करेगा दुनिया अपने आप को विराम देने की तैयार नहीं हैं।
4.पहचान-दुनिया में दो प्रकार की पहचान होती है स्वयं को पहचान हो और स्वयं की दृष्टि में क्या हो,दूसरा हमको हमारे से बड़े जैसे महान लोग देते हैं बेटे को अनुभव में नहीं आता यह पहचान माता-पिता देते हैं माता बेटे को पहचान देती है।
प्रवचन से शिक्षा- हमको अपने जिंदगी में कुछ विराम देना चाहिए जो आपने सब को विराम थोड़ा सा शांति करनी चाहिए।
सकंलन ब्र महावीर