भारत की सबसे बड़ी पुरातत्विक चोरी करने वाले को 8 साल बाद 10 साल की सजा

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सान्ध्य महालक्ष्मी
घटनाक्रम
॰ 06 जुलाई 2013 को करोड़ों रु. मूल्य की अनमोल 15 रत्न प्रतिमायें चोरी
॰ 27 जुलाई 2013 को गिरफ्तारी
॰ 47 मंदिरों में की चोरी
॰ 21 अप्रैल 2021 को मिली 10 साल की सजा

ओडिसा के नयागढ़ जिले के 38 साल के प्रेम कुमार उर्फ संतोष दास उर्फ घनश्याम दास आका साहू को तमिलनाडु सलेम कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई, उस चोरी के स में जो स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे बड़ी पुरातत्विक वस्तुओं की चोरी थी। 5-6 जुलाई की रात 1.10 पर इसने मूड़बिद्री की गुरु बसदि में ऊपर रोशनदान से प्रवेश कर सीसीटीवी कैमरे के तार काटकर, गैस कटर से कांच का सुरक्षा कवर काटकर स्वर्ण, नील, मणि आदि की अति दुर्लभ हजार वर्ष प्राचीन 15 मूर्तियों की चोरी की थी।

मूर्तियों का यह शातिर चोर 47 से ज्यादा जगहों पर चोरी कबूल चुका है। श्री कनकदुर्गा अम्मावटी किरीतम की श्री दुर्गा चोरी में भी इसी का हाथ था। इसके आगे कई से सम्बंध थे और खास बात यह कि यह चोरी अकेला करता था और चोरी की संभावना तलाशने के लिये उस जगह की रेकी भी करता था।

चोरी में यह किसी को साथ नहीं लेता और चोरी के बाद किराये की टैक्सी से अपने ठिकाने पहुंच जाता।
गुरु बसदि, मूडबिद्री में जब 06 जुलाई की तड़के इसने चोरी की, तब भट्टारक चारूकीर्ति जी अमरीका गये हुये थे, वे बीच में ही दौरा छोड़कर वापस लौटे और देश के पूरे जैन समाज में रोष फैल गया।

15 जुलाई को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से उसकी पत्नी व ससुर को मूर्तियां छिपाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उनकी निशानदेही पर ज्वैलर राजाजी को गिरफ्तार किया, जहां से तीन मूर्तियां तो मिली, पर पांच को वह सोने के लिये गला चुका था। तब आंध्र प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक की पुलिस टीम के संयुक्त प्रयास से 27 जुलाई को संतोषदास दबोच लिया गया।

पर 12 नवम्बर 2013 को मैंगलोर पुलिस को एक स्पीड पोस्ट पैकेट मिला जिसका वजन 750 ग्राम था। उसके अंदर 17 रतनों की प्रतिमाओं के मिलने से गुत्थी के और तार मिलने लगे।

अब केस के चलते संतोषदास को 21 अप्रैल को सलेम अदालत ने 10 साल सश्रम की सजा सुनाई है।