17 अप्रैल 2021-,देशनोदय चवलेश्वर- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सिद्धक्षेत्र दिक्षित 108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
आत्मा मर नहीं सकती,जो मर रहा है वह संबंध है
1.संस्कार-मां को अपने दूध बाप को अपने खुन पर विश्वास गुरु को अपने संस्कार पर विश्वास होना चाहिए गुरु को अपने शिष्य पर विश्वास है कि वह आगम विरुध्द कुछ भी नहीं बोलेगा गुरु ने अपने शिष्य को अच्छे संस्कार दिए हैं तो उसमें उदाहरण महाराज जी ने बेटा तेल लेने गया और उसके हाथ से शीशी टुट गई आपको अपने बेटे के खुन पर विश्वास है।
2.अपनी अर्थी को देखो-समयसारजी का एक बार स्वाध्याय करने के बाद व्यक्ति रोएगा नहीं हंसेगा नहीं कोई भाव नहीं आएगा,हमको ध्यान में अपनी स्वयं की अर्थी देखनी है इसकी साधना करनी है खुद की अर्थी को स्वयं उठाना है स्वयं ही आग लगाना है ये ध्यान सबसे बड़ा ध्यान है कुन्दकुन्द भगवान कहते हैं जीते जी अपने शरीर को जलता हुआ देख अपनी अर्थी को कंधा दे रहा है आग लगा रहा है अपनी की अर्थी को,शरीर राख हो गया,राग वर्षा से बह गई है ऐसा चिंतन कर यह बहुत बड़ा है।
3.बढी पढाई-बड़ी पढ़ाई करने के बाद आदमी छोटी पढ़ाई नहीं कर पाता छोटी पढ़ाई में फेल हो जाता है जैसे बड़ा डॉक्टर है जो प्रसिद्ध है उसके लड़के को जब जुकाम होता है तो वह छोटे से डॉक्टर के पास जाकर इलाज कराता है तो छोटा डॉक्टर ने कहा आप तो बहुत बड़े डॉक्टर हैं बड़ी बढ़ाई करने के बाद आदमी छोटी पढ़ाई में फेल हो जाता है जैसे कुन्दकुन्द आचार्य के शास्त्र का स्वाध्याय आदमी पढ़ ले तो व्यक्ति कुन्दकुन्द भगवान समान के शास्त्र पर हंसेगा कि यह तो संभव ही नहीं है बड़ी पढ़ाई करने के बाद छोटी पढाई नहीं कर पाते।
प्रवचन से शिक्षा- मां को अपने दुध पर,बाप को अपने खून पर, गुरु को अपने संस्कार पर विश्वास होना चाहिए
सकंलन ब्र महावीर