पुरुष अभिषेक कर सकता है वह नहीं करे तो पाप है महिला अभिषेक नहीं कर सकती तो उनको अभिषेक देखने मात्र से वो पुण्य बंधता हैं : मुनिपुंगव श्री सुधासागर

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देशनोदय चवलेश्वर- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव समयसार शिक्षक 108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
भगवान का अभिषेक पूजन अपना कर्तव्य मानकर नहीं अधिकार मानकर करना है
1.कर्तव्य अधिकार-जो कर्तव्य समझकर कार्य करता हैं उसको पुण्य कम लगता है क्योंकि वह अपना कर्तव्य मानकर कर रहा है उन्होंने वह कार्य वेतन के लिए कर रहा है उसे साधु रक्षा का पुण्य नहीं,वह रक्षा नहीं उन्होंने अपना कर्तव्य करा था ऐसे लोग गुरु को कोसेगे जो कर्तव्य को मानते हैं वह लोग कर्तव्य को अपना अधिकार सौभाग्य अहोभाग्य मानकर करता हैं।हमारा मन अधिकार में लगता है इसलिए मन को समझाओ मेरा अभिषेक करना का अधिकार है।
2.शक्ति को छुपाना-जो कृत कर सकता है उसे कारीत का पुण्य नहीं मिलेगा जो कृत नहीं कर सकता उसे कारीत का पुण्य मिलेगा,पुरुष अभिषेक कर सकता है वह नहीं करे तो पाप है महिला अभिषेक नहीं कर सकती तो उनको अभिषेक देखने मात्र से वो पुण्य जो महिला को पुण्य जो अभिषेक करने वालो को बनेगा जो शक्ति को छुपाकर कारित करना चाह रहा है वह बडा पापी है वह अगले भवों में वो शक्ती भी खत्म हो जाएगी।
3.मांस का त्याग-धीवर का जीव एक मछली मांस का त्याग करने पर स्वर्ग मिला जैनी भी ये सोचे कि मैंने तु जिंदगी मे कभी मांस खाया ही नहीं मेरा तो स्वर्ग पक्का यह मत मानना जैनी को मांस का त्याग होने पर भी नरक जाना पड़ सकता है।
4.बाधक कारणो को हटाना-जहां प्रतिपक्ष नहीं होता वहां धर्म होता है वह आत्मा का स्वरूप होता है जो सब तरफ से सिद्ध हो जहां कहीं से भी बाधा प्राप्त नहीं होती है एक ही पक्ष को स्वीकार कर लिया है तो सुख कहां जहां दुख खत्म हो गया हो जहां बाधित हो वह संसार है सुखाभास हैं बाधक कारण हट जाए वहां सूख आ जाते हैं साध्य और साधक से प्रभावित हुए हैं लेकिन बाधक आकर नहीं हटा पाए वहीं साधना करनी है बाधक कारणो को हटाने की ।
प्रवचन से शिक्षा-पुरुष अभिषेक कर सकता है वह नहीं करे तो पाप है महिला अभिषेक नहीं कर सकती तो उनको अभिषेक देखने मात्र से वो पुण्य बंधता हैं।
सकंलन ब्र महावीर