धन्य है ऐसे संत जो 48 मिनट नहीं, दो 4 घंटे नहीं , 36 घंटे तक लगातार योग ध्यान में, अनवरत चिंतन करते हुए मगन रहे

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धन्य है ऐसे गुरुवर, जिनके शिष्य ऐसे महान हैं, दोनों को ही शत-शत बार प्रणाम है।
यह है, संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के शिष्य, मुनि श्री संधान सागर जी महाराज जो शुक्रवार सांय काल में 6:30 बजे, योग ध्यान की मुद्रा में बैठे और रविवार आज प्रातः 6:30 बजे तक उसी तरह निर्विघ्नं धर्म ध्यान में लीन रहे ।
36 घंटे की यह प्रतिमा योग, ध्यान मुद्रा। धन्य है ऐसे मुनिराज और उनके गुरुवर। चरणों में बारंबार नमोस्तु।