लघु प्रतिक्रमण- किसी के साथ शत्रुता नहीं, सभी जीवो से क्षमा, सारे दोष(दुष्कर्म) मिथ्या हो,मेरा समाधि मरण हो

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हे भगवान,हे जिनेंद्र देव,हे अरिहंत प्रभु,
मैं अपने पापों से मुक्त होने के लिए प्रतिक्रमण करता हूं।हे भगवान,मैं सर्व अवगुणों से संपन्न हूं।मैंने मन वचन काय की दुष्टता से ना जाने कितने अपराध किए हैं।हे भगवान आप तो केवलज्ञानी है मेरे सब पापों को आप जानते हैं,आपसे कुछ भी छिपा नहीं है,मैं सभी जीवो से क्षमा चाहता हूं, सभी जीव मुझे क्षमा प्रदान करें।
मेरी किसी के साथ शत्रुता नहीं है, यदि मैंने राग द्वेष आदि परिणामों से पाप किया हो,कर्कश वचन कहे हो,यदि मैंने उठने-बैठने,खांसने- छींकने,बोलने से जीवो का घात किया हो,यदि मैंने त्रसकायिक या स्थावर जीवों की हिंसा की हो,पर स्त्री या पुरुष को बुरी निगाहों से देखा हो अपने व्रतों और नियमों में दोष लगाया हो,अष्ट मूलगुणों के पालन में एवं सप्त व्यसन त्याग में दोष लगाया हो,सच्चे देव, शास्त्र,गुरु और मुनि आर्यिका, श्रावक व श्राविका की निंदा,आलोचना की हो तो,हे भगवान,मेरे सारे दोष(दुष्कर्म) मिथ्या हो,मेरा समाधि मरण हो एवं अन्तिम समय तक सच्चे देव, शास्त्र,गुरु की भक्ति में मन लगा रहे ऐसी मेरी भावना है-३।
(९ बार णमोकार मंत्र का जाप करें।)