पानी मे डुबोकर रोटी खा लेना लेकिन जिनवाणी को मत डुबोना, पुण्य की पूजा मत करना तीर्थंकर परमात्मा की पूजा करना : आचार्य विशुद्धसागर

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25 मार्च 2021 ,शास्वत तीर्थ क्षेत्र श्री सम्मेदशिखर जी से आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज की पावन पीयूष देशना
विधि के अभाव में वस्तु कार्यकारी नही होती।
सर्वार्थसिद्धि के अहमिन्द्र सौधर्म इन्द्र जैसा वैभवशाली नही होता है किंतु पुण्यशाली सबसे ज्यादा होता है।
किसी से मत मिलिए सिर्फ अपने भावों से मिलिए
अम्भरीष जाति के देव तीसरे नरक तक जाते हैं लेकिन नरक की वेदना नही होती उनको
श्री पूज्यपाद आचार्य जी ने कहा है
पुनाती आत्मा इति पुण्यं
जो आत्मा की पाप से रक्षा करे उसका नाम पुण्य है।
जब वैद्य की बात मानते हो तो मित्र मेरी बात भी मान लो जिनेंद्र भगवान की 5 बार भक्ति करना।
ये सूत्र मन मे बिठाल लेना :- परिग्रह नरक गति का मार्ग है। ये इस श्लोक में लिखा है।
पानी मे डुबोकर रोटी खा लेना लेकिन जिनवाणी को मत डुबोना।
पुण्य की पूजा मत करना तीर्थंकर परमात्मा की पूजा करना।
देव कभी उचकते नही हैं, सौधर्म इन्द्र भगवान के दरबार मे चरणों मे तांडव नृत्य तो करता है किंतु अहंकार नही करता है।
नंदन जैन