ता. 21 मार्च से 29 मार्च तक अष्टानिका महापर्व प्रारम्भ हो रहें हैं तो आईये हम सभी प्रभु भक्ति पूर्वक संयम तप साधना के साथ महापर्व मनायें।
प्रस्तुत पर्व में नंदीश्वर द्वीप के बावन जिनालयों की अर्चना चर्तुनिकाय के असंख्यात देव निरंतर करतें रहतें हैं।
साथ ही सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन किया जाता है।
नंदीश्वर श्री जिनधाम, बावन पुंज करौं।
1. नंदीश्वर द्वीप एक दिशा में 9,83,040 करोड़ कि.मी. विस्तृत है
2. प्रत्येक जिनालय का आकार पूरे भारत से भी बड़ा है
3. 52 अकृत्रिम चैत्यालयों में 5616 जिन प्रतिमायें हैं
4. नंदीश्वर द्वीप है 163 करोड़ 84 लाख महायोजन का और एक महायोजन होता है 6000 कि.मी.,
5. नंदीश्वर श्री जिनधाम, बावन पुंज करौं।
वसु दिन प्रतिमा अभिराम, आनंद भाव धरौ।
6. प्रत्येक चैत्यालय 4800 कि.मी. लम्बा 2400 कि.मी. चौड़ा और 3600 कि.मी. ऊंचा, यानि पूरे भारत से भी ज्यादा विशाल हर मन्दिर।
7. उसके प्रत्येक का मुख्य द्वार 768 कि.मी. ऊंचा, यानि माउंट एवरेस्ट से भी सौ गुना ज्यादा ऊंचा, 384 कि.मी. चौड़ा।
8. प्रत्येक गर्भग्रह में हल्की मुस्कान बिखेरती 108 -108 प्रतिमायें है वो भी 750 -750 मीटर ऊंची। यानि कुतुब मीनार से भी दस गुना ऊंची, को भी खड़गासन नहीं पदमासन।
9. लाला नख मुख नयन स्याम अरू स्वेत हैं स्याम रंग भौंह सिर-केश छवि देत हैं।
10. सौधमादि कल्पों के बारह इन्द्र, भवनात्रिक व अन्य देवों के साथ चारों दिशाओं में 6-6 घंटे पूजा करने के बाद दिशा बदलते है और लगातार 192 घंटे पूजा-अर्चना करते हैं।
11. कोटि शशि भानु दुति तेज छिप जात है महा वैराग – परिणाम ठहरात है।
करोड़ों सूर्य का तेज जिन बिम्ब के तेज के आगे दीपक की तरह प्रतीत होता है