अमरीकन हॉलीवुड हीरो,निर्माता और निर्देशक बन गया जैन, मांसाहारी बना अब अहिंसा का पुजारी-माइकल टोबियास

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मुंबई में पांच सितारा होटल ओबेरॉय टावर्स की किताबों की दुकान में एक आकर्षक पुस्तक आगंतुकों का विशेष ध्यान आकर्षित करती है, जिसका शीर्षक है: इंडिया ट्वेंटी फोर आवर्स। इस सचित्र पुस्तक के लेखक माइकल टोबियास हैं।

यह अमेरिकी माइकल टोबियास एक फिल्म निर्माता और निर्देशक है, लेकिन यदि आप उससे उसके पेशे के बारे में पूछेंगे, तो वह कहेगा कि अहिंसा और शाकाहार को बढ़ावा देना । उन्होंने स्वर्ग के धर्म-हिमालय, जैन धर्म की दुनिया, महावीर के प्रकाश जैसी किताबें लिखी हैं।

जब हम हॉलीवुड के बारे में सोचते हैं, तो हम रंगीन फिल्म अभिनेताओं की रंगीन जीवन शैली के बारे में सोचते हैं। लेकिन माइकल टोलायस खुद को एक जैन के रूप में पहचान देता है। हॉलीवुड जैन फिल्म निर्माता माइकल टोबियास। ” ऐसा कह सकते है

रोज सामायिक करते है। खुद को जैन धर्म में परिवर्तित करने के बारे में बताते हुए, वे कहते हैं कि वर्षों पहले मैं जीवन के आध्यात्मिक रहस्य की खोज में भारत आया था। कई भिक्षुओं के साथ हिमालय पर गया लोटते वक़्त उन दिनों जैन धर्म के बारे में सुना।

एक दिन महाराष्ट्र में घूमते हुए,  माइकल एक मंदिर में प्रवेश कीया मंदिर जैन  था।  मंदिर मे प्रवेश करने से पहले उनसे कहा गया कि अपनी घड़ी निकालो। यहाँ चमड़े की वस्तु पहनकर मंदिरजी मे जाना वर्जित है

इस घटना का माइकल के दिमाग पर गहरा असर पड़ा। वह उस धर्म के बारे में जानना चाहता था कि जो घर्म जानवरों की चमड़ी से बनी चीजों को भी नहीं अपनाते वो जानवरों की भी बहुत परवाह करते है।

उस दिन से, उन्होंने जानवरों की खाल का उपयोग करना बंद कर दिया।  फिर उन्होंने जैन धर्म को इतना पसंद किया कि उन्होंने अपनी पत्नी का नाम ‘ जैन’ रखा।

एक ईसाई के रूप में जन्मे, माइकल टोलायस  अब कही भी  चर्च में नहीं जाते। वह कहते हैं: ‘ मैं एक जैन हूं। मैंने पाँच व्रतों को अपनाया है – अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।‘

एक जैन बनकर, माइकल ने अहिंसा और शाकाहार को बढ़ावा देने का फैसला किया। उनका दावा है कि पॉप गायक मैडोना ने भी शाकाहारी भोजन अपनाया था

माइकल अमेरिकी समाज में प्रचलित हिंसा से चिंतित थे माइकल टीवी और फिल्मों के माध्यम से हिंसा का विरोध करने की वकालत करते हैं। उन्होंने कई अमेरिकियों को शाकाहारी बनाया है।

चातुर्मास का त्योहार आया और चला गया। यदि कोई विदेशी जैन धर्म से प्रभावित होकर अमारी प्रवर्तन का अनुसरण करता है और दूसरों को ईसका अनुसरण करता है, तो हम तो जैन हैं। हमे तो ज़रूर अमारि का पालन करते हुये व दुसरे को भी अमारि प्ररीवर्तन करने की और प्रेरित ज़रूर करना चाहिए !