आ गया फाल्गुन माह का कृष्ण पखवाड़ा – इसके 9 दिनों में 8 तीर्थंकरों के 11 कल्याणक, 3 मोक्ष कल्याणक – श्री पद्म प्रभु, श्री सुपार्श्वनाथ व श्री मुनिसुव्रतनाथ तीर्थंकर के, 3-3 ज्ञान कल्याणक दो-दो जन्म व तप कल्याणक व एक गर्भ कल्याणक यानी किसी •ाी पखवाड़े में सबसे ज्यादा तीर्थंकरों यानि 8 तीर्थंकरों के 11 कल्याणक हैं और 02 मार्च को शुरूआत, तीर्थंकर पद्म प्रभु के मोक्ष कल्याणक से।
पांचवें तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ जी के 90 करोड़ सागर बीत जाने के बाद कोशाम्बी नगरी में महाराजा श्री धरण की महारानी श्रीमती सुसीमा देवी के गर्भ से जन्म हुआ श्री पद्म प्रभु का।
30 लाख वर्ष पूर्व की आयु और 250 धनुष ऊंचा कद, आपकी काया लाल रंग की थी । साढ़े इक्कीस लाख वर्ष पूर्व सोलह पूर्वांग राज करने के बाद एक दिन अपने हाथी की मृत्यु देख जाति स्मरण से वैराग्य •ाावना बलवती हो गई और 6 महीने तप केबाद आपको केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। एक लाख पूर्व सोलह पूर्वांग छह मास के केवलीकाल के बाद आयु में जब एक माह शेष रह गया तो आप पहुंच गये शाश्वत तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी, जहां फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी को मोहनकूट से 320 मुनिराजों के साथ सिद्धालय पहंच गये एक समय में। देवों और इन्द्रों ने आकर निर्वाण महोत्सव मनाया। आपका तीर्थ प्रवर्तन काल नौ हजार करोड़ सागर चार पूर्वांग वर्ष रहा और इस मोहन कूट से 99 करोड़ 87 लाख 42 हजार 790 मुनिराज मोक्ष पधारे हैं।
आपके चरणारबिन्द में मन-वचन-काय से बारम्बार नमस्कार हो, बोलिये तीर्थंकर श्री पद्म प्रभु की जय।