विद्या का प्रयोजन धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पुरुषार्थ सिद्ध करना होना चाहिए: आचार्य  श्री विद्यासागरजी महाराज

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नेमावर, अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के सान्निध्य में भारतीय भाषा सम्मेलन आयाेजित किया गया। देेश के अलग-अलग प्रांतों से आए 300 से अधिक शिक्षक व शिक्षाविद् शामिल हुए। इस दाैरान जिला शिक्षा केंद्र हरदा के एपीसी विवेक शर्मा तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के उपायुक्त सुधीर जैन भोपाल ने अपने विचार रखे।

विशेष अतिथि डॉ. निशांत जैन निदेशक पर्यटन विभाग राजस्थान, प्रो. कुसुमलता केडिया कार्य परिषद सदस्य अंतरराष्ट्रीय विवि वर्धा, डॉ. प्रकाश बरतूनिया चांसलर डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ एवं सचिन चौधरी प्रबंध संचालक बुंदेली बौछार भी शामिल हुए।

इस अवसर पर आचार्य श्री  विद्यासागरजी महाराज  ने शिक्षाविदों और शिक्षकों से बच्चों को भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने मातृभाषा में शिक्षण से बच्चों पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव को रेखांकित किया।  आचार्य श्री  ने अपने उद्बोधन में कहा कि मातृभाषा, राष्ट्रभाषा के साथ-साथ, विश्व भाषा भी होती है। जिसे संसार के सभी प्राणी समवसरण में बैठकर सुन और जान लेते हैं। जैसे कोई वादक वाद्य यंत्र बजाता है तो उसकी कोई भाषा नहीं होती, लेकिन वह श्रोता को आनंदित कर देता है। उसी प्रकार प्रभु की वाणी भी ध्वन्यात्मक होती है। हम सभी को विचार करना चाहिए कि प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षा के लिए तो स्कूल शब्द के माध्यम से हमने विद्या का लय तो नहीं कर दिया। विद्या का प्रयोजन धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पुरुषार्थ सिद्ध करना होना चाहिए। ट्रस्ट कमेटी ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन संयोजक दामोदर जैन ने किया। आभार प्रो. कुसुमलता केडिया ने माना। जानकारी जैन समाज के प्रवक्ता नरेंद्र चौधरी ने दी।

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी