जालना, महाराष्ट्र से 500 किमी का विहार करके गुरुचरणो में पधारे दीर्घतपस्वी मुनिश्री भूतबलिसागर मुनिराज
आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज ससंघ इन दिनों सिद्धक्षेत्र नेमावर,मप्र में विराजमान हैं, आचार्य श्री के दर्शनों को समय-समय पर विभिन्न मुनिसंघ पधार रहे है।
14 फरवरी मध्याह्न में आचार्यश्री के शिष्य मुनिश्री भूतबलिसागर जी, मुनिश्री मौनसागर जी, मुनिश्री मुनिसागर जी,मुनिश्री मुक्तिसागर जी मुनिराज पधारे। लंबे वर्षों बाद पूज्य भूतबलिसागर मुनिराज ससंघ को आचार्य गुरुदेव के दर्शन प्राप्त हुए हैं।
मुनि श्री भूतबली सागर जी महाराज वर्तमान में सबसे पुराने मुनि पद पर रहने वाले साधू है आप को आचार्य विद्यासागर जी महाराज से सर्वप्रथम ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है आप कर्नाटक से क्षुल्लक मणिभद्र महाराज के साथ संस्कृत शिक्षा प्राप्त करने के लिए दादागुरु आचार्य ज्ञानसागर जी के पास आए थे तभी दादागुरु की समाधि हो गई व आप यही मुनि विद्यासागर जी(संप्रति आचार्य विद्यासागर जी) के यहां रह गए। वर्तमान में आप अति उत्कृष्ट श्रमणचर्या के धारक है एवं आचार्य विद्यासागर जी महाराज को अपना गुरु मान कर आत्म साधना में लीन हो धर्म प्रभावना कर रहे है
मनाया गया मुनि सुप्रभसागर जी का दीक्षा दिवस
आचार्य श्री वर्द्धमानसागर मुनिराज से दीक्षित मुनिश्री सुप्रभसागर जी मुनिश्री दर्शितसागर जी मुनिराज ससंघ भी सिद्धक्षेत्र नेमावर में ही विराजमान हैं, मुनिश्री सुप्रभसागर मुनिराज ने दीक्षा दिवस पर आचार्य श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। वर्तमान में सिद्धक्षेत्र नेमावर में 14 निर्ग्रन्थ मुनिराज विराजमान है