ओस का नाश देख छोड़ा राजपाट, पकड़ी तप की राह : तीर्थंकर श्री शीतलनाथजी- जन्म व् तप कल्याणक :8 फरवरी

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माघ कृष्णा द्वादशी, यानि सोमवार 08 फरवरी, वही दिन, जिस दिन, 10वें तीर्थंकर बने शीतलनाथ जी का जन्म भद्रिलपुर नगरी के महाराज श्री द्रणरथ जी व महारानी सुनंदा देवी के पुत्र के रूप में हुआ। तीर्थंकर श्री पुष्पदंत जी के सौ सागर बाद जन्म। आपकी आयु एक लाख पूर्व वर्ष थी और 90 धनुष ऊंचे कद वाले, आपने 50 हजार पूर्व वर्ष का राज करके, |

सभी वृक्ष व घास ओस से आच्छादित थे, सूर्योदय होते ही ओस नष्ट देखकर वैराग्य हुआ, संध्या के समय पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में 1000 राजाओं के साथ जिन दीक्षा ली |इसी माघ कृष्ण द्वादशी को , कोल्हुआ पहाड़ ( झारखण्ड ) पर ,सहेतुक वन में पहुंच गये तथा पंचमुष्टि केशलोंच कर बेलवृक्ष के नीचे तप शुरू किया। जय हो, तीर्थंकर श्री शीतलनाथजी। (सान्ध्य महालक्ष्मी)