दिगम्बर जैन आम्नाय के विरुद्ध कहान पंथ संबंधी साहित्य मंदिर जी में रखना, पठन पाठन करना वर्जित है

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दिगम्बर जैन परम्परा के *परम पूज्य आचार्यश्री 108 धर्मसागर जी महाराज* ने 1977 में फलटण सम्मेलन में समाज को आदेश दिया था कि सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में यह सूचना लगाई जाए : –
दिगम्बर जैन आम्नाय के विरुद्ध कहान पंथ संबंधी साहित्य मंदिर जी में रखना, पठन पाठन करना वर्जित है

दर असल उस समय कांजी पंथियों ने दिगम्बर जैन मुनियों के बारे में लिखा था कि – *दिगम्बर जैन मुनि पशुओं के समान घूमते हैं। मुनि काछी कुंजड़े हैं। जिनवाणी पर स्त्री के समान है। भगवान की मूर्ति को देखकर स्मरण रखो, यह यम की मूर्ति है

तब कांजी पंथी मान्यताओं के खिलाफ फलटण में तीन दिवसीय सम्मेलन हुआ था, जिसमें पूज्य आचार्य श्री धर्मसागर जी महाराज ने समाज को यह आदेश दिया था। लगता है तब कांजी पंथी नर्म पड़ गये और दिगम्बर जैन समाज ने उन्हें अपना लिया, *लेकिन 43 साल सांप ने जैसे फिर से फन उठाया हो। कांजी पंथी योगेशचन्द ने हमारे दिगम्बर जैन संतों के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक व मनगढ़ंत पोस्ट सोशल मीडिया पर डालकर उनका मजाक उड़ाने का प्रयास किया है।* हमने योगेशचन्द को जेल भेजा, लेकिन उसकी विचारधारा के लोग आज भी छुपकर हमले कर रहे हैं।
इस घटना से देशभर के मुनिभक्त गुस्से में हैं। 3 जनवरी को भोपाल में मुनिभक्त जागरण सम्मेलन इसका प्रमाण है।
– मुझे लगता है कि समय आ गया है कि 43 साल पहले दिये गये *परम पूज्य आचार्यश्री धर्मसागर जी महाराज के आदेश को हमें देशभर में लागू किया जाना चाहिए।
– रवीन्द्र जैन पत्रकार भोपाल