निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
दुनिया इसलिए बर्बाद नहीं कि यहां पापी लोग,गद्दार लोग रहते हैं,दुनिया इसलिए बर्बाद है कि अच्छे लोग मौन रहते हैं
दुश्मन,कर्म कुत्ते की जाति का होता है जो शुरु में तेज होता है बाद में कमजोर हो जाते हैं
1.पापी ओर क्षमा- पापी को क्षमा मत मांगने देना पापी से क्षमा मांग लेना क्यों कि पापी ने क्षमा मांग ली तो उसे पाप भी कर लिया और माफी मांग ली पाप से छुट जायेगा,इसलिए पापी को कभी क्षमा नहीं मांगने दो,आप पापी के पास जाकर पहले क्षमा मांग लेना कहना यह मेरे कर्म का उदय तो आपकी कोई गलती नहीं है रावण और सीता का उदाहरण दिया सीता के जीव ने तीसरे नरक में जाकर रावण से क्षमा मांगी।
2.अशुभ पापी से मत घबराना-पापी की ताकत ज्यादा नहीं होती गुंडे पापी शुरुआत में शक्ति ज्यादा होती है,प्रवेश करने वालों की शक्ति ज्यादा होती हैं थोड़ी अलग हट जाना,पापी व्यक्ति जो होता है जब वह पहला बार करता है उसको चलाने दो,वार सहन कर लो साइड में हो जाओ कुछ देर बाद जब उनकी शक्ति कमजोर होती जाती है वह खाली होते जाते हैं नयी शक्ति उनकी नहीं बनती है इसलिए उनकी शक्ति खत्म होने दो,इसलिए अपने दुश्मन अशुभ कर्म में ताकत नहीं होती है आने दो उसे घबराना मत,अशुभ कर्म में ताकत नहीं होती।
3.जितने भगवान होते हैं एक ऊंचाई पर जाने के बाद मौन हो जाते हैं जब तक पूर्ण सत्य नजर नहीं आता तब तक हम बोलते रहते हैं ऊंचाई के बाद मौन हो जाते हैं।
4.माफी कौन से-दुश्मन को माफ करके अपनी यश गाथा को जन जन तक पहुंचा दिया दुश्मन को थप्पड़ मारकर धुल नहीं चटाना है बल्कि आशीर्वाद देकर दुश्मन को धूल चटा देना जैसे यशोधर महा मुनि महाराज ने राजा श्रेणिक व चेलना दोनों को धर्म वृद्धि का समान आशीर्वाद दिया उपर्सग करने वाले और उपर्सग दूर करने वालों को एक समान आशीर्वाद दिया।
5.दुश्मन की शक्ति ज्यादा नहीं होती है इसलिए दुश्मन से घबराओ नही क्षमा मांग लो अपने कर्म का उदय मानकर।
प्रवचन से शिक्षा-पापी को कभी क्षमा मत मांगने देना पापी से क्षमा मांग लो
सकंलन ब्र महावीर