यदि हमारे भीतर दया, करुणा आदि निर्मल परिणामों का समावेश नहीं है तो मनुष्य योनी भी किसी काम की नहीं है – आचार्य अतिवीर मुनि

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सान्ध्य महालक्ष्मी / 29 जनवरी 2021
परम पूज्य आचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज का उत्तर प्रदेश की धर्मनगरी आगरा के ज्योति नगर स्थित श्री महावीर दिगम्बर जैन मन्दिर में प्रथम बार पधारने पर समस्त समाज में उत्साह का माहौल बना तथा सभी ने पूज्यश्री का भावभीना स्वागत किया।
इस अवसर पर पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि अनन्त पुण्य का संचय करने के पश्चात् जीव को दुर्लभ मनुष्य जीवन प्राप्त होता है। यह केवल गर्व का विषय ही नहीं है, अपितु यह विचार करने की भी बात है कि इतनी दुर्लभ वस्तु हमें ही क्यों मिली? कोई खास प्रयोजन ही रहा होगा, जो हम इस काबिल बनें और इस महान योनी में जन्म प्राप्त किया।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि जन्म मरण के चक्कर से छुटकारा पाने के लिए एक यही मनुष्य योनी कार्यकारी है। देवी-देवता भी अनन्त सुख की अभिलाषा को रखते हुए मनुष्य योनी में आना चाहते हैं। इतना सब कुछ होते हुए भी वर्तमान में श्रावक अत्यंत प्रमादी हो गया है तथा भौतिक संसाधनों की आपूर्ति में जुटा हुआ है। आचार्यों ने कहा है कि इसमें भी कोई बुराई नहीं है, यदि हमारा लक्ष्य सम्यक हो तथा भाव सरल हों। मनुष्य योनी में जन्म लेने से अधिक महत्वपूर्ण है अपने भीतर मनुष्यता के भाव को जगाए रखना। यदि हमारे भीतर दया, करुणा आदि निर्मल परिणामों का समावेश नहीं है तो मनुष्य योनी भी किसी काम की नहीं है।
जिन-मंदिर में आकर वीतरागी प्रभु की छवि को निहारते हुए अपने मन-मंदिर में जमी कलुषता को हटाने का भाव जिस दिन जागृत हो जायेगा, समझ लेना हमारा मनुष्य जन्म लेना सार्थक हो जाएगा। भेद-विज्ञान को समझकर अपनी आत्मा का कल्याण करने में ही असीम सुखों की अनुभूति है।
उल्लेखनीय है कि ज्योति नगर कालोनी में आचार्य श्री के सान्निध्य में व्यापक धर्मप्रभावना संपन्न हो रही है। आचार्य श्री का मंगल आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए, उनके मंगल प्रवचन सुनने के लिए तथा तत्त्व चर्चा, शंका समाधान आदि के माध्यम से गुरुवर का सान्निध्य प्राप्त कर सभी गुरुभक्त लाभान्वित हो रहे हैं।
– समीर जैन