पौष कृष्ण की चतुर्दशी : भीतरी तिमिर को मिटा फैले ज्ञान प्रकाश

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28 दिसंबर 2024/ पौष कृष्ण त्रयोदशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
आज तीन साल हो रहे थे लगातार तप करते महामुनिराज को कोल्हुआ पहाड़ पर, धूलीपलाश वृक्ष के नीचे। अपराह्न काल था, उस वक्त कि तभी स्वर्ग में सौधर्मेन्द्र का सिंहासन डोला, अवधि ज्ञान से तुरंत पता चल गया कि भरतक्षेत्र में जो 10वें तीर्थंकर हैं, उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हो गई है। उसने तुरंत कुबेर को आज्ञा दी कि जाओ और तुरंत समोशरण की रचना करो। हां, वो दिन पौष कृष्ण की चतुर्दशी, जो इस वर्ष है 29 दिसंबर 2024 को।

कुबेर ने आनन-फानन 80 किमी विस्तार के समोशरण की रचना की और तब दिव्य ध्वनि खिरी 10वें तीर्थंकर श्री शीतलनाथ जी की। श्री कुंथुजी सहित 87 गणधर थे उस समशरण में। साथ ही एक लाख मुनि, 1400 पूर्वधर मुनि, 59,200 शिक्षक मुनि, 7200 अवधिज्ञानी मुनि, 7000 केवली, 12000 विक्रयाधारी मुनि, 7500 विपुलमति ज्ञानधारक मुनि, 5700 वादी मुनि, 3.80 लाख आर्यिकायें, दो लाख श्रावक, 4 लाख श्राविकाओं के साथ बड़ी संख्या में तिर्यंच मौजूद थे।

आपका केवलीकाल 25 हजार पूर्व तीन वर्ष का था। यही भावना भायें कि यह ज्ञान का प्रकाश हमारे भीतर कषाय रूपी तिमिर का नाश करे।

बोलिये 10वें तीर्थंकर श्री शीलतनलाथ जी की जय-जय-जय।