॰ 40 घंटे बाद बनने जा रहा था इतिहास
24 अक्टूबर 2024/ कार्तिक कृष्ण अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
गुरुवार 24 अक्टूबर 2024 को सबको इंतजार था कि मेवाड़ क्षेत्र की सबसे ऊंची, 20वें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान की पदमासन उतंग प्रतिमा का सुबह 6 बजे से पूरे वागड़ के श्रद्धालुओं के भव्य जुलूस के साथ नौगामा के सुखोदय तीर्थपर दोपहर 12 बजे पहुंचेंगी। वहां विराजमान आर्यिका श्री पवित्रमति माताजी ससंघ के सान्निध्य में एक अभूतपूर्व कार्यक्रम भी रखा गया था कि मंदिर के अंदर से मध्य भाग से विशेष क्रेन से 108 फीट ऊंचाई पर हवा में भगवान की प्रतिमा को 9 मिनट स्थिर किया जाएगा। यह नजारा ऐतिहासिक बनने वाला था, जब शनि ग्रह अरिष्ट निवारक तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान की प्रतिमा हवा में ही चारों दिशाओं में खुशहाली की दृष्टि बरसाते हुए इस धरा को हरा-भरा और सम्पन्न करेगी।
तीन दिन पहले ही सागर के भाग्योदय तीर्थ से मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी के दर्शन के बाद धीरे-धीरे बढ़ रही थी, मुनि श्री अजित सागरजी के सान्निध्य में भी तलवाड़ा में जोर-शोर से स्वागत की तैयारियां की गई। ठीक उससे पहले मंगलवार दोपहर बाद 3 बजकर 20 मिनट पर छोटी सरवन गांव में दानपुर रोड पर बड़े ट्रक के आगे अचानक एक पिकअप वैन आ गई। ड्राइवर के पास एक क्षण का समय निर्णय लेने का कि वह बनने वाले भगवान को बचाय या फिर सामने आ रहे इंसानों को। बस कुछ सोचकर उसने तेज ब्रेक लगा दी। 25 टन वजनी 21 फुट उंची प्रतिमा झटके के साथ ट्रक से फिसल गई।
दानपुर रोड की ढलान पर जैसे ही गिरी, सिर टूट कर ढलान से कई फीट नीचे लुड़क गया। खुशी का माहौल अगले ही क्षण गमगीन हो गया। पिछले कुछ वर्षों में ऐसी दुर्घटना पहली बार हुई है। इससे बड़ी-बड़ी प्रतिमायें भी ले जाई जाती रही हैं और इस समय भी तीर्थंकर श्री शीतलनाथ जी की प्रतिमा जयपुर से जैनारगुट्टी जा रही है। णमोकार तीर्थ पर भी प्रतिमा गई थी। अनेकों जगहों पर ले जाई जाती रही है। यहां सब खुशी का माहौल गमगीन कर दिया।
निश्चित ही समाज के लिये बहुत बड़ी दुखद खबर है। इस प्रतिमा के पत्थर के लिये दो साल में सैकड़ों खदानों में पत्थर ढूंढा गया था।