॰ बाहर से दर्शन करने आये जैन बंधु ने किया खुलासा
॰ परिवार की आपसी रंजिश में मंदिर पर ताला
॰ अजैन पत्नी और गोद लिया बेटे का इससे बुरा अंजाम नहीं सुना होगा
21 अक्टूबर 2024/ कार्तिक कृष्ण पंचमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
जयपुर के रहने वाले मेडिकल इंजीनियर अभिषेक जैन का देव दर्शन का नियम और जब भी काम के सिलसिले में बाहर जाना पड़े, तो गूगल की सहायता से निकट का मंदिर देख, दर्शन करना उनकी आदत बन गया। इसी तरह काम के सिलसिले में शनिवार 19 अक्टूबर 2024 को यूपी के संत कबीर नगर पहुंचे। गूगल से सर्चकर पाया कि खलीलाबाद शहर के बजरिया पूर्वी में एक दिगम्बर जैन मंदिर है। पूछते-पाछते पहुंचे, तो मंदिर पर ताला बंद पाया। आसपास से नम्बर लिया आनंद जैन जी का। सम्पर्क हुआ, तो पता चला कि वो तो मुम्बई में हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देर रुकिये, अभी ताला खुलावता हूं। अभिषेक सामने चाय वाले की दुकान पर बैठ इंतजार करने लगे। थोड़ी देर में आनंद जी की पत्नी सुमन जी चाबी लेकर आई। ताला खोला, अभिषेक देखकर हैरान, चारों तरफ धूल और मकड़ी के जाले यानि स्पष्ट लग रहा था कि काफी समय से मंदिर बंद है। पूछा तो सुमन जी ने कहा कि दशलक्षण पर्व के बाद ताला लगा दिया गया। वैसे उस मंदिर के अंदर से एक रास्ता और था, जो उनके घर में खुलता था।
अभिषेक के पैरों तले जमीन खिसक गई, जब देखा सामने वेदी में प्रतिमा ही नहीं है, उसने तुरंत सुमनजी से पूछा तो वो चौंक कर बोली – प्रतिमा तो यहीं थीं, फिर अभी कहां गई, पुलिस को बुलाओ। अभिषेक हैरान हो गया, तुरंत शिकायत लिख सामने ही चौकी पहुंचे, वहां कोई नहीं था, फोन पर सम्पर्क किया, तब हवलदार आया, पूरी बात बताई, तो वह भी जांच के लिए मंदिर आया। पुलिस वाले ने सुमन से पूछताछ शुरू की तो उसने पड़ोसी हसन अब्बास को बुला लिया। यह सब देखते हुए अभिषेक ने तुरंत चैनल महालक्ष्मी को सम्पर्क कर, मंदिर की बदहाल स्थिति की जानकारी दी।
पता चला कि आनन्द जैन तीन भाई हैं और सबसे बड़े भाई अरुण जैन ने प्राथमिकी दर्ज करा दी है। चन्दाप्रभु की मूर्ति के अलावा कुछ सोने-चांदी का समान भी गायब था। आनंद कुछ वर्षों से पारिवारिक कलह के चलते मुंबई चले गये थे। बड़े बेटे आनंद के पुत्र उदय जैन ने चैनल महालक्ष्मी को पूरी जानकारी देते हुये बताया कि दादाजी स्व. रामनारायण जी ने यह मंदिर 1944 से 1950 के बीच बनवाया था। उसकी तीनों भाई देखरेख पहले करते थे, बाद में तीनों ने सहमति से छोटे भाई आनंद जी को यह जिम्मेदारी सौंप दी, जिनकी पत्नी और एक पुत्र है तथा एक केयर टेकर है।
दसलक्षण पर्व के दौरान मंदिर में पूजादि की गई, उसके बाद सुमन द्वारा ताला लगा दिया गया। सुमन ने चैनल महालक्ष्मी को जो बताया वो और भी चौंकाने वाला था, वह जैन परिवार से नहीं है, बिहार के दरभंगा की रहने वाली है और लड़के के मामा ने उसकी शादी यहां करवा दी। उनका 19-20 साल का लड़का तारण उर्फ आशुतोष भी कानपुर से गोद लिया है। बड़Þे भाई ने अपने बेटे को गोद लेने को कहा, पर उन्होंने घर से गोद लेने से इंकार कर दिया। सुमन का कहना है कि उसके साथ हमेशा सौतेला व्यवहार हुआ। जब बेटा 15-16 साल का हुआ, तो भी उसको कोई पैसा पिता आनंद नहीं देते, तो उसने उल्टे-सीधे काम शुरू कर दिये। तीनों भाइयों में एक वर्ष पूर्व सम्पत्ति का बंटवारा लम्बित था। परिवार से परेशान छोटे भाई आनंद ने मुम्बई में रहना शुरू कर दिया, अब यहां उनकी पत्नी सुमन और गोद लिया आशुतोष ही रहते थे। कुछ समय पहले परिवार वालों ने सुमन से मारपीट की, यह जानकारी भी सुमन ने चैनल महालक्ष्मी को दी। पता यह भी चला कि आनंद जी ने अपने बेटे की करतूतों को देख, उससे अपने को अलग कर लिया।
उधर पुलिस ने जांच शुरू की तो चार पर शक हुआ, उसमें एक आनंद-सुमन का ही बेटा आशुतोष भी था। उसी के दोस्त भी थे। सुमन ने यह जानकारी देते हुये बताया कि सामने सब्जी वाले संजय की कुसंगति से बेटा बिगड़ गया, और दोस्तों के साथ छिपकर चोरी की अपने ही मंदिर में।
गजब तो तब हो गया, जब सोमवार को अदालत में उसने कहा कि मूर्ति तो उसकी मां ने ही उसे दी, ताले की चाबी मां के पास रहती है। अब मां परेशान है, उसे केवल पड़ोसी इंजीनियर हसन अब्बास पर ही भरोसा है, वो ही उसके सारे काम करता है।
पारिवारिक झगड़ा और दादा के बनाये मंदिर की बेटों ने अनदेखी की और पोते ने मूर्ति और सामान ही चुरा लिया। अब पुलिस ने मूर्ति तो आशुतोष के एक दोस्त के यहां से जब्त कर ली, उसको बेचने की कोशिशे हो रही थी। पर सोने-चांदी का अन्य सामान गलाकर वो सुनार को बेच चुके थे।
इसकी पूरी जानक्री चैनल महालक्ष्मी के एपसिोड नं. 2929 में भी देख सकते हैं।