महावीर स्वामी की शादी, बिटिया, दीक्षा के बाद वस्त्र, दर्द से चीख पड़े …. और आप चुप बैठे रहे ॰ महाराष्ट्र शासन द्वारा दिगम्बर सम्प्रदाय की अनदेखी

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॰ महावीर स्वामी पर जारी पुस्तक में विवादास्पद जानकारी
॰ इनामों के लालच में स्कूली बच्चों को परोसी गई एक पक्षीय गलत जानकारी
॰ महावीर स्वामी 2550वें निर्वाण महोत्सव वर्ष में अच्छी पहल में महाराष्ट्र प्रशासन का शर्मसार कार्य
॰ सबकुछ होने के बाद कहा – ‘मिच्छामि दुक्कडम’
30 सितंबर 2024/ अश्विन शुक्ल त्रयोदशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /

महाराष्ट्र सरकार ने 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के 2550वें निर्वाण महोत्सव वर्ष में 5वीं से 10वीं कक्षा तक के स्कूली बच्चों के लिए 20 सितम्बर से 5 अक्टूबर 2024 (तिथि बढ़ाई) के बीच महावीर स्वामी चारित्र पर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया है, जो महाराष्ट्र के एक लाख स्कूलों के डेढ़ करोड़ बच्चों के लिये है, जिसमें 95 फीसदी से ज्यादा अजैन बच्चे हैं। उनको आकर्षित करने के लिये सभी 36 जिला स्तर तथा राज्य स्तर पर इनाम रखे गये हैं। राज्य सरकार का महावीर स्वामी से सभी को बचपन में ही जोड़ने का निश्चय ही बहुत अच्छा कदम है, और इस तरह की प्रभावना के लिए, अन्य राज्य सरकारों को भी कदम उठाने चाहिये, जिससे महावीर स्वामी का 2550वां महोत्सव वर्ष मनाना पूरी तरह सार्थक हो सके।

इसके लिये राज्य सरकार द्वारा जैन मंत्री श्री मंगल प्रभात लोढा जी के सान्निध्य में इस योजना को बढ़ाया और सात सदस्यीय कमेटी बनाई, जिसमें 6 श्वेताम्बर सम्प्रदाय व केवल एक दिगम्बर सम्प्रदाय (डॉ. कल्याण गंगावल) को रखा गया। नासिक के पारस लोहाड़े जी ने चैनल महालक्ष्मी को बताया कि उनके नासिक जिले सहित अनेक में तो जिला स्तर समितियों में दिगम्बर समुदाय से किसी को नहीं रखा, निश्चय ही दिगम्बर समुदाय, जिसका जैनों में 70 फीसदी के लगभग हिस्सा है, उसके साथ अन्याय है और इसका विरोध होना चाहिये था।

पर यह तो कुछ नहीं, इसके लिये दिगम्बर समुदाय को अंधेरे में रखते हुए ‘अध्यात्म के एवरेस्ट- भगवान महावीर’ पुस्तक, जिसके प्रकाशक अध्यात्म परिवार और आचार्य विजय योग तिलक सूरिश्वर जी महाराज द्वारा रचित, को डेढ़ करोड़ बच्चों के लिये आॅनलाइन एक बार में जारी कर दिया। क्योंकि अजैन बच्चे महावीर स्वामी के जीवन के बारे में ज्यादा न जानते हों, शायद यही ध्यान में रखते हुए। पर इस पुस्तक को केवल श्वेताम्बर सम्प्रदाय के कल्पसूत्र के आधार पर रचा गया और दिगम्बर सम्प्रदाय के सही तथ्यों को हटाते हुए वो विवादास्पद बातें बताई गई, जिसका घोर विरोध करना चाहिए। इस बारे में चैनल महालक्ष्मी ने सबसे पहले एपिसोड नं. 2879 – महावीर दीक्षा लेने के बाद -कंधे पर वस्त्र और दर्द से चीख पड़े.. और आप चुप हैं, जारी किया। उसके अंदर उन मूलभूत विवादास्पद बातों को उजागर किया, जो दिगम्बर सम्प्रदाय से बिल्कुल मेल नहीं खाती, कुछ इस प्रकार हैं:-

॰ गर्भावस्था में माता 16 स्वप्न देखती है, इसमें 14 बताया है, जन्म कुंडलपुर / कुंडपुर की बजाय झारखंड मे लच्छवाड़ में बताया गया।

॰ बाल्यवस्था चेप्टर में लिखा कि वर्धमान स्वामी को स्कूल भेजा गया और इन्द्र ने आकर उनसे व्याकरण के सवाल पूछे। जबकि तीन ज्ञान के धारी, वे कभी स्कूल नहीं गये। (अवधिज्ञानी कोई तीर्थंकर बालक स्कूल नहीं जाते)

॰ बाल ब्रह्मचारी के लिये युवावस्था पाठ में लिखा कि मां के अनुरोध पर उन्होंने यशोदा से विवाह कर लिया और प्रियदर्शनी बेटी का जन्म हुआ। गजब! कैसे सुन लिया दिगम्बर भाइयों ने?

॰ विरक्ति वाले पृष्ठ पर लिखा कि जब वे 28 साल के हुए उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। पिता भाई राजा नंदिवर्धन से उन्होंने दीक्षा के लिये कहा, तो जवाब मिला दो साल रुक जाओ। तब उन्होंने उनकी बात मान ली और नहाना बंद कर केवल हाथ-पैर धोने लगे तथा ब्रह्मचारी रूप में रहने लगे।

॰ 7वें बरसीदान दीक्षा पाठ में लिये क्षत्रिय कुंड में घोषणा के एक साल बाद उन्होंने चैरिटी शुरू कर दी, जो दर्शन करने आता, उसकी जेबें सिक्कों से भर देते।

॰ दीक्षा के बाद उन्होंने केशलोंच किया, आभूषण उतारे, सभी वस्त्र त्याग दिये, उसके बाद इन्द्र ने एक वस्त्र उनके कंधे पर डाल दिया यानि दिगम्बरत्व खत्म।

॰ अति तो चरवाह की घटना में कर दी। चरवाह को जब वापस लौटने पर बैल नहीं मिले, तो ध्यानरत महावीर स्वामी के कान में लकड़ी की छड़ आर-पार कर दी। वे ऐसे ही अपने एक मित्र सेठ के पास चले गये और कहा कान में कुछ हो गया और वापस आ गये। तब सेठ अपने डॉक्टर मित्र को लेकर उनके पास पहुंचा, डाक्टर ने कान से छड़ निकाली, तो महावीर स्वामी दर्द से चीख पड़े। (वृषभनाराच संहनन महापुरुष को मानो एक साधारण इंसान ही बना दिया)।

॰ 10वें पाठ में केवलज्ञान स्थान जृंभक गांव बताया।

॰ 11वें पाठ निर्वाण में अंत समय निकट जान आषाढ़ अमावस्या को 48 घंटे लगातार उपदेश दिया और तब से दिवाली शुरू हुई। (वाह री दिवाली का दिन कार्तिक से गर्मियों में)

ऐसे कई विवादास्पद बातों को बच्चों में परोस कर, एक प्रकार से दिगम्बरत्व को समाप्त करने की यह कोई साजिश तो नहीं थी? डॉ. कल्याण गंगवाल जी जो इसमें एकमात्र दिगम्बर सम्प्रदाय के सदस्य हैं, उनसे चैनल महालक्ष्मी ने पूछा तो इस पुस्तक से अनभिज्ञता प्रकट की। उन्होंने कहा कि मेरे फोन भी कोई नहीं उठा रहा। जानबूझकर इस तरह करना, पूरे दिगम्बर सम्प्रदाय से घोर अन्याय है और उनकी भावनाओं का कुठाराघात है।

अफसोस तो इस बात का है कि इसके 72 घंटे बीतने के बाद भी किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई, जैसे कोई चिंता नहीं। चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड के बाद हरकत में आये, एक तरफ जिज्ञासा समाधान में एक प्रश्न के जवाब में निर्यापक श्रमण सुधा सागरजी ने खरी-खरी सुनाते हुये कहा कि तीर्थंकर ऋषभदेव द्वारा दी गई तलवार अब क्षत्रियों के हाथ में नहीं है, वो सब बनिया बन गये। सरकार के विरोध हंगामा करो, आवाज उठाओ, चुनाव में जवाब दो।

दूसरी तरफ चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड के साथ समाज में बढ़ती प्रतिक्रिया के बाद महाराष्ट्र के कौशल विकास, रोजगार मंत्री, जो श्वेताम्बर समाज के हैं, उन मंगल प्रभात लोढा जी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी कर क्षमा मांग ली – मिच्छामि दुक्कडम्, दिगम्बर समाज को ठेस पहुंची है। और साथ में कह दिया कि दिगम्बर समाज कोई विषय सुझाए, उस पर हम एक और प्रतियोगिता आयोजित कर देंगे (हां, उसके इनाम दिगम्बर समाज को प्रायोजित करने होंगे)। एक बार डेढ़ करोड़ बच्चों ही नहीं, पूरे महाराष्ट्र नहीं, पूरे विश्व में वो पुस्तक सोशल मीडिया में घूम गई।

दिगम्बर समुदाय की दृष्टि से महावीर स्वामी की मूल छवि धूमिल कर दी, जिसको सही करने में दशकों लग जायेंगे, उसके बाद इस से बात समाप्त नहीं हो जाती।

राज्य सरकार को उसका संशोधित रूप पूरे विश्व में उसी प्रकार पहले की गल्तियों को दर्शाते हुए तत्काल जारी करना चाहिये, वर्ना यह भूल जैन संस्कृति – इतिहास पर बहुत नुकसानदेह व भारी पड़ सकती है।
चैनल महालक्ष्मी इस पूरे घटनाक्रम का घोर विरोध करता है।

चैनल महालक्ष्मी टिप्पणी : दिगम्बर सम्प्रदाय को कमेटी में बराबर संख्या में न रखना, एक ही मत को बिना दूसरे की स्वीकृति के रातों-रात जारी कर देना, फिर चुप्पी साध लेना, कही न कही गलत मंसूबों की ओर संकेत करता है, जिसका निवारण उसी पुस्तक को गलत भागों को स्पष्ट रूप से सुधारकर प्रचारित करना अतिआवश्यक है, तथा इन सबका मुख पृष्ठ पर स्पष्ट उल्लेख भी बिन्दुवार हो, जिससे सही स्थिति सबके सामने पहुंच सके, अन्यथा यह एक अच्छे काम के लिये सरकारी मशीनरी का पूरा दुरुपयोग ही है।