विज्ञान ने कहा – ऐसा हो ही नहीं सकता, पर मुनिराज ने कर दिखाया ॰ गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस दोगुने अंतर से धुला

0
2913

॰ विज्ञान जिसे असंभव कहता है, मुनि श्री संविज्ञ सागरजी ने दिखाया संभव
॰ 33 दिन बिना जलबूंद के, फिर जल और अगले दिन फिर जारी निर्जला उपवास
॰ पूरा नैनवां देखने उमड़ पड़ा
26 सितंबर 2024/ अश्विन शुक्ल नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
कई डॉक्टरों की चर्चा से पता चला एक साधारण व्यक्ति 3 दिन, बिना जल के रह सकता है, पर आयु, कार्य क्षमता, स्वास्थ्य, वजन आदि मापदण्डों पर खरा उतरते अधिकतम 10 दिन, जब वह एक बूंद भी जलादि कुछ ना ग्रहण करे।

गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकाडर््स कहता है 1979 में आस्ट्रिया के 18 वर्षीय एण्ड्रियास मीहाबकड़ा अधिकतम 18 दिन बिना जल के रह पाया, जब वह एक ताले में दुर्घटनावश बंद हो गया था। और इससे ज्यादा के लिये विज्ञान के पास बस एक ही शब्द है ‘असंभव’, हो ही नहीं सकता।

22 सितंबर 2024 को विज्ञान को नतमस्तक कर दिया, राजस्थान के बूंदी जिले के नैैनवां में, जहां मुनि श्री संविज्ञसागरजी का चौथा चातुर्मास चल रहा है, जिसकी स्थापना 21 जुलाई को हुई। तब से निरंतर ‘दो निर्जल उपवास, एक आहार’ की साधना शुरू की और फिर 20 अगस्त वो दिन, तब से निर्जला उपवास लगातार जारी रहा, 21 सितंबर तक यानि 33 निर्जला उपवास। बिना जल की एक बूंद ग्रहण किये 33 दिन और तब रविवार 22 सितम्बर को अपने गुरुवर आचार्य श्री सुनील सागरजी के निर्देश से केवल जलाहार किया। उस जल की बूंद देने के लिये नैनवां में हर कोई पड़गाहन के लिए आतुर था। और जब वो मुद्रा लेकर बढ़ें, तो पूरा नैनवां उनके पीछे चल पड़ा। ढाई गुना तीन फुट की खिड़की से उन्हें जल ग्रहण करते देखने वालों का दृश्य अचंभित कर रहा था। क्या है कमरे में अंदर? कोई नया व्यक्ति, यह ही पूछता और भीड़ में आगे बढ़ने की कोशिश करता। तब भीड़ से कई आवाजें एक साथ आती – तुझे पता नहीं, मुनिराज 33 दिन बाद ले रहे हैं केवल जल और फिर उपवास शुरू हो गये।

इस उपवास तप के आगे विज्ञान तो क्या, पूरी दुनिया नतमस्तक हो जाती है। दादा गुरु महान मासोपवासी और अंकलीकर परम्परा के आचार्य आदिसागर जी सप्ताह में एक बार केवल एक वस्तु का ही आहार लेने वाली परम्परा को पांचवीं कड़ी में भी जीवंत रखा है।

मुनि श्री संविज्ञ सागरजी की दीक्षा 15 अक्टूबर 2021 को आचार्य श्री सुनील सागरजी द्वारा अंदेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ पर हुई थी।
(इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 2874 में देख सकते हैं)