हर कक्षा में प्रथम स्थान, फिर भाई बहन की दीक्षा एक साथ, आज सबके पूजनीय के 83 वें वर्ष में प्रवेश

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19 सितंबर 2024/ अश्विन कृष्णा दौज /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
श्रमण संघ के चतुर्थ पट्टधर आचार्य सम्राट ध्यान योगी , तपसूर्य जो पिछले 25 वर्षों से श्रमण संघ का नेतृत्व कर रहे है !आज जीवन के 83 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे है !

18 सितम्बर 1942 को माता विद्यादेवी की कुक्षी से गांव रानिया जो कि पंजाब हरियाणा बार्डर पर स्थित हे वहा हुआ! पिताश्री का नाम श्री चिरंजी लाल जी जैन जिनका परिवार बहुत ही संभ्रात व धनाढ़य था ! पांच वर्ष की वय मे स्कूल में पढ़ने गये कुशाग्र बुद्धि के कारण हर कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया! तेरह वर्ष की अवस्था में ही धर्म के प्रति विशेष लगाव व साधु संतो के प्रति जुड़ाव रहा ,! आपका पेतृक व्यवसाय मलोट मंडी पंजाब मे था आपको व्यवसाय के लिए अबोहर भेजा पर आपका मन नही लगा ! अध्ययन में आपकी विशेष रुचि रही , दर्शनशास्त्र व इंगलीश में आपने डबल एम. ए किया! अध्ययन रत रहते आप 54 दिवसीय विदेश यात्रा पर गये तथा वहा के वातावरण को पूरी तरह देखा अन्दर का वेराग्य और प्रबल हो गया तथा 17 मई 72 को आपने आचार्य सम्राट श्री आत्मा राम जी म.सा के सुशिष्य राष्ट्रसंत श्री ज्ञान मुनि जी के पास मलोटमंडी ( पंजाब) में भागवती दीक्षा ग्रहण की!आपके साथ आपकी बहिन ने भी दीक्षा ली!

दीक्षा लेने के बाद आगम का गहन अध्ययन किया तथा ध्यान साधना जीवन का मूलमंत्र बनाया !
जिस समय आपने दीक्षा ली चर्चा का विषय रहा कि इतने पढ़े लिखे व बहुत बड़े धनाढ़य व्यक्ति के व संभ्रात परिवार के लड़के ने दीक्षा ली !

आपकी प्रतिभा का दिग्दर्शन संयम लेने के कुछ समय बाद ही होने लगा था!
आपका सन 1985 का चातुर्मास जोधपुर था तब आप दो संत ही थे तब जैन दिवाकर परम्परा के दो संत घोरतपस्वी श्रीअभय मुनिजी म.सा. ठा. 2 आपके साथ चातुर्मास हेतु जोधपुर पधारे थे!
सन 1986 के अप्रेल माह मे उपाध्याय श्री केवल मुनि जी म.सा के उपाध्याय पद चादर महोत्सव मे भाग लेने आप इन्दोर पधारे थे! उस समय से शिवमुनि जी को युवाचार्य बनाया जाए यह चर्चा चलने लगी थी!
पूना साधु सम्मेलन मे युवाचार्य पद की घोषणा
13 मई 1987 को पूना के साधु सम्मेलन में आचार्य सम्राट श्री आनन्द ऋषि जी म.सा के मुखारविन्द से श्री देवेन्द्र मुनि जी म.सा को उपाचार्य पद पर एवम डा.शिव मुनिजी को युवाचार्य पद की घोषणा की गइ!
जब आपको युवाचार्य बनाया गया तब आपकी दीक्षा पर्याय मात्र 15 वर्ष ही थी!
जून 1999 में आचार्य पद पर विराजमान
आचार्य प्रवर श्री देवेन्द्र मुनि जी के देवलोक गमन होने के बाद जून 1999 मे आप अहमदनगर में आचार्य पद पर विराजमान हुए।
7 मइ 2000 को आपका आचार्य पद चादर महोत्सव दिल्ली में आयोजित किया गया!

तब से आप श्रमण संघ का नेतृत्व करते आरहे है आप 39 वर्ष से लगातार लगभग वर्षीतप आराधना कर रहे है
हजारो शिविर लगाकर लाखों लोगो को ध्यान साधना से जोड़ा हे तथा यह अनवरत चल रहा हे
जीवन मे उदारवादी सोच के साथ,सह मंगल मेत्री के साथ आपका मिशन आगे बढ़ रहा है ! जीवन मे किस प्रकार के संस्कार हो,जीवन में धर्म का स्वरूप क्या हो , ध्यान जीवन को गहराइयो से किस तरह जुड़ा हे यह आपके प्रवचन के मुख्य बिन्दु होते है ! साहित्य के क्षेत्र मे भी आपने उल्लेखनीय कार्य किया है !

सन 2015 मे आपके पावन सानिध्य में इन्दौर मे वृहद् साधु सम्मेलन हुआ जिसमें आपने श्री महेन्द्र ऋषि जी म.सा.को युवाचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया हे!
एसे हमारे आचार्य सम्राट , ध्यानयोगी, तपसूर्य, आदि कई उपमाओ से अलंकृत आचार्य डा. शिव मुनि जी के पावन चरण सरोजो में हृदय की अनन्य आस्था के साथ वंदन , अभिनंदन,आपका नेतृत्व सदा श्रमण संघ को मिलता रहे!