पहली बार मुनि श्री प्रमाण सागर इतने कठोर हुए, क्यों? छेड़ा है, छोडूंगा नहीं, सब इस्तीफा दो, वर्ना… क्या-क्या कहा मुनि श्री प्रमाण सागरजी ने-

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॰ तुमने प्रमाण सागर को हल्के में ले लिया,
जिस दिन ठान लूंगा,तो वही होगा, जो चाहूंगा।
॰ जब तक इस्तीफे नहीं दोगे, ठुकाई करता रहूंगा।

16 सितंबर 2024/ भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

दशलक्षण पर्व से ठीक पहले इन्दौर के दिगम्बर जैन समाज में इतवारिया बाजार स्थित कांच मंदिर के सामने पंडाल लगाने को लेकर जो विवाद हुआ, उसने इंदौर की विख्यात संसद के दो फाड़ की कलई खोल दी। एक ही संसद की दो कमेटी और दोनों के चुनाव में इन्दौर के जैनों ने वोट दिये और इसी पर मुनि प्रमाण सागरजी ने कह दिया – इंदौर की समाज कैसी बुद्धु है।

एक अध्यक्ष राजकुमार पटौदी, मुनिश्री के पास चार बार बुलवाने पर भी नहीं गये, ना इस्तीफा दिया। उनका कहना है कि कांच मंदिर के सामने 102 साल से पर्युषण की अराधना के लिये पंडाल लगाया जाता रहा है, लेकिन इस बार शनिवार को जब पंडाल लगाने का काम शुरू हुआ, तो नकुल पटौदी ने आपत्ति की और मारपीट का दावा भी किया गया। पुलिस बीच में आई, फिर रविवार 8 सितंबर को पंडाल लगाना शुरू हुआ।

इधर चैनल महालक्ष्मी से बात करते हुए नकुल पटौदी ने कहा कि जवाहर मार्ग और एमजी रोड वन वे हो गया है, दोनों सड़कों को इतवारिया बाजार जोड़ता है, 20 दिन पंडाल लगने से जाम रहेगा। हमारे पास दस हजार वर्ग फीट की बड़ी धर्मशाला है। उसमें पूजा-पाठ करके, ऐसे ही सड़क पर गणेश चतुर्थी आदि पर लगने वाले पण्डालों को भी अच्छा संदेश मिलेगा। और रही बात इस्तीफे की, तो हमारे अध्यक्ष तो मुनिराज के पास पहले ही इस्तीफा सौंप आये हैं।

इन्दौर संसद एक, कमेटी दो, चुनाव दो और इसके चलते विवाद और इन्दौर जैन समाज की जग हंसाई मुनि श्री प्रमाण सागरजी को पसंद नहीं आई और फिर वे खुलकर समाने आ गये। उनका कठोर संदेश केवल इन्दौर संसद के लिये ही नहीं, देश की हर उस दो फाड़ वाली कमेटी तक था। इसकी धमक दूर तक जाएगी, इसकी आशा है।
मुनि श्री प्रमाण सागरजी ने नौ मिनटों में कठोर शब्दों में कहा
जिस दिन प्रमाण सागर ठान लेगा, तो वही होगा जो चाहेगा
‘ये शुरूआत है, एक नहीं रहोगे, तो सामाजिक संसद का कोई वजूद नहीं बचने दूंगा। एक हो जाओ। तुम दो रहोगे, तो अपने घर पर रहो। सुधार करना बहुत जरूरी है। मैं कभी कड़ा नहीं बोलना चाहता, मगर तुम लोग मुझे बाध्य कर रहे हो। तुमने बहुत हल्के में लिया है प्रमाण सागर को, जिस दिन प्रमाण सागर ठान लेगा, तो वही होगा जो चाहेगा। यह मेरा अहंकार नहीं। यह मेरा आत्मविश्वास है। समझ गये। इसे हल्के में मत लेना।’

समाज की संसद से बड़ी धर्म की संसद है

मुनिराज ने इंदौर समाज से कहा कि जब तक दो संसद है, तुम लोग एक को भी वोट मत देना। अगर चुनाव का प्रस्ताव आये, वे लोग ना माने, तो कहना, जो लोग गुरुओं की बात नहीं मानते, हम ऐसी संसद को भी नहीं मानेंगे। क्योंकि समाज की संसद से बड़ी धर्म की संसद है। ये ताकत आपको दिखानी होगी। चंद लोगों के अहंकार के पीछे समाज के हितों की बलि नहीं होनी चाहिए। इनका मनोबल तोड़ना होगा। कुछ लोगों का यह भ्रम है कि हम समाज को जैसा चाहें, चला लेंगे। बुद्धिजीवी समाज को आगे आना होगा। आप लोग गुरुओं के चरण धोओगे, पूजा करोगे, मगर बातें नहीं मानोगे।
जब तक नहीं सुुधरोगे, मैं ठुकाई करता रहूंगा

छह बरस हो गये। चल गया। अब नहीं चलने दूंगा। आज ही जाकर बोलो। मैं ठुकाई करता रहूंगा, जब तक तुम नहीं सुधरोगे। एक ही बात है या तो आपस में सहमति बना लो, नहीं तो जो संविधान की प्रक्रिया है – दोनों पक्ष एक चुनाव कराओ। एक संसद होगी, समाज स्वीकारेगी। किसी के पास जाओगे, तो तुम्हारी एकता दिखेगी। तुम्हारी ताकत दिखेगी। ऐसा नहीं करोगे, तो कुछ नहीं होगा। जब तक दोनों संसद एक न हो, तब तक समाज, सामाजिक संसद के किसी कार्यक्रम में शामिल ना हो। सामाजिक संसद के बैनर तले कोई काम मत करो। समाज को भी तो ताकत दिखानी चाहिये। आप लोग तैयार हो क्या?

संदेश पहुंचा देना, अपना-अपना त्याग पत्र दो
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अपना-अपना त्याग पत्र दें और संविधान के अनुसार नया चुनाव करा लें। जिसको समाज पसंद करे, उसे पद दें। एक संस्था के नाम पर दो-दो कमेटी किसलिये? क्या चाहते हैं आप? समाज को अपनी बपौती बनाकर चलाना चाहते हो क्या? जिसे समाज स्वीकारती है, उसे तुम स्वीकार करो। तुम समाज के अंग हो, समाज तुम्हारा अंग नहीं है। तुमसे समाज नहीं, समाज से तुम हो। जब तक समाज का वजूद है, तुम्हारा वजूद है। व्यक्ति का कोई वजूद नहीं होता। यह संदेश पहुंचा देना है। सद्बुद्धि आये, तो आ जाना।

दोनों को वोट दे आये, ये जनता कैसी बुद्धु है

मैंने चार बार कह दिया, तुम्हें समझ नहीं आता। और जो ऐसी बातें नहीं समझते, उनका फिर यहां आने का मतलब क्या है? क्या भक्ति दिखाते हो तुम लोग? किस मोह में पड़े हो? किस सत्ता की असक्ति और अभिमान रखते हो तुम? ध्यान रखना। समाज के आगे किसी की नहीं चलती। और समाज को मैं पुन: कहता हूं, मुंह देखी पंचायत मत करो। दो चुनाव क्यों? और तुम लोग भी कैसे? दोनों को वोट दे आये थे, जनता कैसी बुद्धु है। दोनों का बहिष्कार कर देते, बुद्धि ठिकाने लग जाती।

चैनल महालक्ष्मी टिप्पणी : मुनि श्री प्रमाण सागरजी का यह प्रवचन सभी कमेटियों व वहां के स्थानीय समाज की आंखें खोलने वाला है। हर जगह समाज को आगे आना होगा, संविधान के अनुरूप कार्य हो। वर्ना बहिष्कार हो, क्योंकि समाज से कमेटी है, कमेटी से समाज नहीं।