शिखरजी : सुप्रीम कोर्ट में जारी सुप्रीम सुनावाई : 12 बरस चुप्पी के बाद विवाद पर होगा फैसला ॰ शिखरजी विवाद के उचित न्याय के लिये करें जाप, माला

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EXCLUSIVE 22 अगस्त 2024// भाद्रपद कृष्णा तृतीया //चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
12 वर्षों तक तारीख पर तारीख का सिलसिला 07 अगस्त 2024 को रुका, जब सुप्रीम कोर्ट की अदालत सं. 12 में डबल बेंच में श्री सम्मेदशिखरजी विवाद पर लगातार सुनवाई शुरू हुई। 07-08 अगस्त, फिर 21-22 अगस्त को याचिकाकर्ता कल्याणजी आनंद जी ट्रस्ट के वकीलों ने अपने दावों के लिये पिछले प्रिवी काउंसिल व हाइकोर्ट आदि के निर्णय, दलीलें प्रस्तुत की। संभवत: आगामी 27-28 अगस्त को दिगम्बर सम्प्रदाय उन दलीलों पर अपना पक्ष रखेगा और उसके बाद इस विवाद पर सर्वोच्च अदालत की डबल बैंच अंतिम निर्णय सुनाएगी।

नामी वकील दोनों सम्प्रदायों का पक्ष रख रहे हैं। ऐसे में एक सवाल मन मस्तिष्क में उठ जाता है कि श्री सम्मेदशिखरजी तीर्थ के लिये हमने दान रूप में आज तक कितना सहयोग किया है। सभी गिनवा देंगे, अनेक बार गये और हर बार दान दिया।

पर सान्ध्य महालक्ष्मी जब एक बार फिर कहे कि 95 फीसदी जैनों ने, जिन्होंने शिखरजी में दान दिया, उन्होंने हकीकत में पारसनाथ के लिये दान नहीं दिया, तो निश्चय ही आप चौंक जाएंगे। पर जहां यह सत्य है कि आपने मधुबन में अनेक बार दान दिया है, वहीं उससे ज्यादा यह भी सत्य है कि आपने श्री सम्मेदशिखरजी की सुरक्षा, संरक्षण, विकास, विवाद सुनवाई में पूरी जिम्मेदारी वहन कर रही भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के हाथ में कभी दान दिया ही नहीं। नीचे कोठी-धर्मशालाओं में ठहरे और वहीं दान की पर्ची कटवा ली। वो दान उसी कोठी में रह गया।

इसलिये अब यह रट मत लगाइये कि हमने तो अनेकों बार सम्मेदशिखरजी के लिये दान दिया है। अब तीर्थक्षेत्र कमेटी को जब दान दें, उसके बाद गर्व से कहें कि हमने भी इस अनादिनिधन तीर्थ के लिये अपना भी सहयोग दिया है।

खैर, अभी तो जाप करें, माला जपें श्री सम्मेदशिखर जी के लिये, यह अनादि निधन दिगंबर स्वरूप में ही था और उसी रूप में रहे, जहां दर्शन पूजा में कभी कोई बाधा न आये। इतना तो, जाप और माला तो रोज हम सब कर ही सकते हैं और सान्ध्य महालक्ष्मी सभी संतों से हाथ जोड़कर विनय के साथ अपील करता है कि वे भी इसके प्रति समाज को आह्वान करें। सुना है निर्मल भावों से किया गया जाप-माला की वर्गणायें अपना महत्व को दर्शाती ही हैं।