जैन साध्वी से छेड़छाड़ या… ॰ साध्वी जी को खेत में पकड़ा, एक ने अपने कपड़े उतारे और दुष्कर्म को झपटने से भागने को हुआ मजबूर

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॰ दरिंदों के स्कैच जारी, पर अभी पुलिस खाली हाथ
22 अगस्त 2024// भाद्रपद कृष्णा तृतीया //चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा, चांद पूरा गोल चमका, शीतलता के साथ, हां वही सोमवार, 19 अगस्त 2024, जब 11वें तीर्थंकर श्री श्रेयांसनाथ जी एक हजार महामुनिराजों के साथ संकुल कूट से सिद्धालय गये थे।
हां, वही दिन था, जब देश में हर बहन रक्षा सूत्र को भाईकी कलाईपर बांध रही थी, कई जैन भक्त साधु संतों की पिच्छी में, जिनालय के द्वार पर, यानि हर तरफ सुरक्षा ही सुरक्षा की हवा में सुगंध थी। कुछ दिन पहले कोलकाता अस्पताल का रेप-हत्या कांड हर के अंदर जरूर था, बदलापुर यौन शोषण कांड, अकोला अध्यापक कांड भी तो हो गया। यानि महिलाओं में असुरक्षा की घटनाओं के बीच रक्षा सूत्र बंधा रहे थे।

ऐसे में ही जब सूरज सिर पर चढ़ गया था, गुजरात के राधनपुर जिले के भाभर तीर्थ पर गच्छाधिपति तपोरत्न सूरि जी म.सा. का चौमासा चल रहा है। वहीं साध्वी जी शुद्धि हेतु तीर्थ के पीछे खेतों में गई। तभी उनके पीछे दो दरिंदे भी आ गये। आसपास कोई और नजर नहीं आ रहा था।

साध्वी जी कुछ सोचती, संभल पाती, उससे पहले ही दोनों ने गंदे इरादों से साध्वी जी मा.सा. के दोनों हाथ पकड़ लिये। मर्यादा की सभी सीमायें लांघ दी गई। एक ने चारों तरफ मुंडी घुमाई और अगले ही पल एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिये। निर्वस्त्र होकर भूखे भेड़िये की तरह साध्वी जी म. सा. की ओर झपटा।

अब साध्वी जी सब समझ चुकी थी, पूरी ताकत से बचाने को चिल्लाने लगी। उनकी आवाज में उस समय वो ताकत आ गई कि काफी दूर लोगों के कानों को झकझोर दिया। अगले ही पल में वे लोग उस तरफ दौड़ पड़े। दोनों दरिंदों ने बदलता घटनाक्रम देखा, कपड़े उठाये और भाग खड़े हुए? बाल-बाल बच गई वो अप्रिय घटना, जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। तीर्थ पर आकर साध्वी जी ने पूरा घटनाक्रम बताया, आंसू नहीं थमे। जैन समाज को इस शर्मसार घटना ने आक्रोशित कर दिया। पुलिस, प्रशासन, सांसद, स्थानीय समाज हरकत में आ गया।

भाभर पुलिस ने दोनों दोषियों के स्कैच जारी कर सभी से पहचान की अपील जारी की। श्रीमद विजय सोम सुन्दश्वर जी म.सा. ने तत्काल ये पत्र जारी कर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा किआज जिनशासन के सदतीजी भगवंत की घटना भाभर संघ के लिये सचमुच कलंक बन गई है। ऐसी घटना सुनकर रुह कांप जाती है। भाभर संघ पर लगे कलंक को मिटाना जरूरी है। भाभर संघ के सभी सदस्यों को 24 घंटे में वहां पहुंचने का आह्वान जारी पत्र में किया गया।

समाचार लिखे जाने तक कोई विशेष सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा है। गुजरात में चाहे गिरनार, पालीताना, रनकपुर, पावागढ़ आदि कोई जैन अचल तीर्थ हो, या फिर चल तीर्थ, सभी पूरी तरह असुरक्षित हैं, लगातार हमले हो रहे हैं। कौन है जिम्मेदार इनका। प्रशासन-पुलिस, दुर्घटना का मानो इंतजार करती है, और फिर समय के साथ वो भुला दी जाती है, जैसे अगली घटना का इंतजार।