अपनी पेंशन राशि से अनेकों-अनेकों तीर्थों की यात्रा की और अत्यंत ही दुर्लभ, पहाड़ों, घाटियों, जंगलों, नदियों में गर्मी, सर्दी, बरसात की परवाह ना करते हुए, बिना किसी लालच के 2881 प्राचीन दुर्लभ जैन तीर्थों के सचित्र दस्तावेज

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25 जून 2024// आषाढ़ कृष्ण तृतीया //चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
इस भारत देश की भूमि को अनेको महापुरुषों ने जन्म लेकर गौरवान्वित किया है। भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर तक भ्रमण संस्कृति के सूत्रधार 24 तीर्थंकरों ने यहीं इस धरती पर जन्म लिया, जिसके कारण यह भारत भूमि पूज्यनीय बनी। अनेकों सूत्र इन तीर्थंकरों ने इस भूमि से दुनिया को दिये, जीने की कला सिखाई, अहिंसा का मार्ग प्रशस्त किया। धर्म के10 सूत्र बताये, उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम शोच, उत्तम सयंम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिन्चन और उत्तम ब्रह्मचर्य का ज्ञान दिया। प्राणियों को ‘जिओ और जीने दो’ का मार्ग दिया।

सिकंदर जैसा आक्रान्ता भी अंत में भगवान महावीर के सिद्धांत पर अमल करते हुए दुनिया से विदा हुआ।सम्राट चन्द्रगुप्त ने भी अंत में आचार्य भद्रबाहु से दिगम्बरी दीक्षा ग्रहण की,और अंत तक श्रवणबेलगोला कर्नाटका के चंद्रगिरी पर्वत पर घोर तपस्या करते हुए स्वर्गस्थ की प्राप्ति की। ऐसी भ्रमण संस्कृति जिसकी प्राचीनता नापी नहीं जा सकती, आज भी देश में अगर कहीं भी खुदाई के दौरान कोई भी मूर्ति या चिह्न मिलते हैं, तो वे निश्चय ही इन 24 तीर्थंकरों से सम्बंधित होते हैं। इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है। अनेकों अक्रान्ताओं ने इस संस्कृति को मिटाने के बहुत प्रयास किये, अनेकों ने इतिहास बदलने के कुप्रयास किये, मगर इस अनादि-निधन जैन संस्कृति को ना तो कोई मिटा पाया और ना ही कोई मिटा सकता है।

हाँ, अनेकों बार अनेकों सम्प्रदायों के नेताओं ने इसको मिटाने, बदलने की कोशिश जरूर की, मुझे लिखते हुए हर्ष हो रहा है, कि दीवान टोडरमल जैन, सेठ भामाशाह जैन जैसे अनेकों दानवीर जैन धर्म ध्वजा को बुलन्द रखने वालों के आगे दुनिया आज भी नतमस्तक होती है। आज हमारे भाई श्री विजय कुमार जैन ‘बाबाजी’ पूर्व वरिष्ठ रक्षा अधिकारी और उनकी धर्म पत्नी श्रीमती वीणा जैन ने अपनी पेंशन राशि से अनेकों-अनेकों तीर्थों की यात्रा की और उन स्थलों का संकलन किया। अत्यंत ही दुर्लभ, पहाड़ों, घाटियों, जंगलों, नदियों में गर्मी, सर्दी, बरसात की परवाह ना करते हुए, बिना किसी लालच के सम्पूर्ण दुर्लभ जानकारी एकत्रित की। उनसे सम्पर्क हुआ चर्चा हुई, मन में विचार आया, क्या इस बहुमूल्य संग्रह को हमें यू ही निरर्थक छोड़ देना चाहिए, नहीं कदापि नहीं तभी मैंने वर्धमान परिवार सेवा ट्रस्ट भिवाड़ी के आधार पर उनको विश्वास दिलाया कि आपके इस संग्रह के प्रकाशन का कार्य वर्धमान परिवार सेवा ट्रस्ट, भिवाड़ी करेगा। इस प्रकाशन का कार्य इसलिए भी जरूरी था ताकि आने वाली पीढ़ी भी इस सर्वोच्य भ्रमण संस्कृति को जान सके, अपने संस्कारों और अपने तीर्थों को सुरक्षित रख सके।

विशाल 2881 प्राचीन दुर्लभ जैन तीर्थों के संग्रह का महाविमोचन रविवार 30 जून को प्रात: 10 बजे एनडीएमसी कन्वेंशन हॉल, 15 संसद मार्ग, कनाट प्लेस, नई दिल्ली में किया जा रहा है। इस अवसर पर तीर्थों के संरक्षण हेतु एक महत्वपूर्ण विचार मंथन गोष्ठी का आयोजन भी किया गया है जिसमें जैन समाज के प्रबुद्ध गणमान्य विभूतियां भाग लेंगी। तीर्थों के संकलन में राजस्थान, बुन्देलखण्ड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र-गुजरात, तमिलनाडु एवं कर्नाटक-आंध्र प्रदेश – तेलांगना एवं केरल, गोआ स्थित प्राचीन दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्रों का दुर्लभ संकलन पांच पुस्तकों में प्रकाशित किया गया है। आप इन पुस्तकों का लाभ लें तथा तीर्थों की सुरक्षा में सहयोग दें, यही प्रमुख उद्देशय है इस महाविमोचन और गोष्ठी का।
– अशोक जैन, वर्धमान परिवार 98101 93112