ये तीन काम कभी नौकरों से मत कराना, भगवान किसी के नौकर नहीं, कि घर-घर पापों के प्रक्षालन के लिये आयें – आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी

0
208

18 जनवरी 2024 / पौष शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
॰ रोज अभिषेक करना और एक मिनट स्वाध्याय, तब जिनशासन चलता रहेगा
॰ भगवान के भरोसे मत छोड़ो, पुरुषार्थ स्वयं करना होगा
॰ भगवान की भक्ति करके ही बढ़ता हुआ भक्त भगवान बन सकता है
॰ भगवान किसी के नौकर नहीं, कि घर-घर पापों के प्रक्षालन के लिये आयें

उत्तर प्रदेश से हरियाणा और फिर राजस्थान की ओर बढ़ते हुये आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी का दो दिन प्रवास का सौभाग्य दिल्ली को मिला और उसी में रोहिणी सेक्टर 10 जापानी पार्क में 06 जनवरी 2024 की धर्मसभा में उन्होंने अपने प्रवचनों से दिल्ली में एक नया मंत्र फूंक दिया।

उन्होंने कहा कि संतान को जन्म, अरिहंत की पूजा और निर्ग्रंन्थ को दान कभी नौकरों से नहीं कराना। इनके परिणाम आपको व्याभिचारी ही नहीं बनाएगा, बल्कि पुण्य भी नहीं मिलेगा। पुण्य के लिये ये तुम्हें स्वयं करने होंगे। ऐसे काम करो, कि तुम्हारे जाने के बाद भी तुम्हारे बिम्ब को याद रखें। प्रभु बनना है, तो प्रभु के पास जाते रहना। कहना – हे नाथ, आपके चरणों में इसलिये नहीं आया कि आप मुझे कुछ दोगे। जैसे चलचित्र को देखकर आप हर्षित होते हैं, उसकी नकल करते हैं, ऐसे ही प्रभु को देखकर आनंद आये, उनकी नकल करो। अपनी संतान को इतना योग्य बनाओ कि उसके नाम के मंदिर बन जाये, जैसे ऋषभदेव। जैन धर्म में मंदिर जाना ही नहीं सिखाया गया। मंदिर भेजने वाले जगत में बहुत हैं, पर इतने योग्य हो जाओ कि तुम ही मंदिर बन जाओ। भक्त बनकर जीना बहुत सरल है, वहीं भगवान बनना बहुत कठिन है। पर जब भक्त नहीं बनोगे, तब तक भगवान नहीं बन सकते। क्षेत्र का भी प्रभाव पड़ता है – श्मशान, सिनेमाघर, मंदिर – हर जगह का अलग प्रभाव पड़ता है।
आचार्य श्री ने कहा कि विश्व को शांति के लिए तलवार नहीं, वर्द्धमान की आवश्यकता है। महावीर की अहिंसा का हृदय बहुत विशाल है, जिस दिन उनको अहिंसा समझ आ जाएगी, उसी दिन जीवन बदल जाएगा।

हिंदू-जैन दोनों ही धर्म सनातन हैं। एक ईश्वर की शक्ति को देख रहा है, दूसरा अपने भीतर ईश्वरीय शक्ति को देख रहा है। प्रत्येक जीव भगवान आत्मा है। अहंकार को खत्म करने के लिए परमात्मा को खड़ा कर लेना, पर पाप वृद्धि के लिये परमात्मा को कभी खड़ा मत करना। यह कभी मत समझना कि परमात्मा ही सब काम करता है। क्या रावण ने जानकी का हरण, परमात्मा की मर्जी से किया? नहीं। हिंसा, झूठ आदि पाप, आपकी कषाय कराता है। भगवान, भगवान है, उसकी कृपा से सब काम होते हों, तो पुरुषार्थ की प्रवृत्ति खत्म हो जाएगी। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, चार पुरुषार्थ हैं। हम ज्ञातादृष्टा हैं। कम्प्यूटर पर बैठकर चेहरे तो बदल सकते हो, पर किसी के कर्म को नहीं बदल सकते।

दर्पण का उदाहरण देकर आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी ने धर्मसभा को कहा कि जैसे दर्पण में सबकुछ झलकता है, वैसे ही प्रभु के ज्ञान में भी। दर्पण अग्नि दिखने से जलता नहीं, पानी दिखने से गलता नहीं, तुम्हारा दाग दिखाने से वो दाग मिटता नहीं, वह किसी का कर्ता नहीं, वैसे ही भगवान। भगवान को निहारो और कर्म करो। मात्र अभिषेक करने से पाप नहीं कटते। अपने कर्मों की विशुद्धि करनी होगी। भगवान को निहारो और कर्म अच्छे करो।

जैनों को हिंदू की शाखा कहने वालों पर चोट करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि जैन धर्म सनातन है, जिनशासन किसी की शाखा नहीं, स्वतंत्र है। अणु-अणु स्वाधीन है। हां, दर्पण को साफ जरूर करना, जिससे तुम्हारा चेहरा साफ झलके। इसी तरह भगवान की भक्ति करना, पर कर्म स्वयं साफ करने होंगे। भगवान स्वयंभू है, किसी का नौकर नहीं, कि वह घर-घर सफाई करता डोले। जब चलचित्र देखकर तुम्हारें भाव ऊपर-नीचे होते हैं, उसी तरह भगवान की प्रतिमा देखकर तुम्हारे भाव बदलने चाहिए।
आर्यिका श्री सरस्वती भूषण माताजी ने कहा कि आचार्य श्री के दर्शन कर आज मन में इतनी शीतलता मिल गई है कि कोई शब्द अभी नहीं निकल पा रहे हैं। बस यही प्रार्थना है कि दर्शन उपलब्ध होते रहें, नेत्रों को शीतलता प्राप्त हो, हम भी नारी पर्याय का छेदन कर दिगंबर मुद्रा को प्राप्त करें। आचार्य श्री में दर्शन, ज्ञान, चारित्र की पूर्णता है, जन-जन के हृदय को जीत लिया है, उन्हें हम भगवान महावीर के लघुनंदन के रूप में देख रहे हैं।

हम भी उन जैसी कठिन साधना कर अपना कल्याण करें।
श्री मुनि सेवा समिति, रोहिणी पीतमपुरा, दिल्ली के अंतर्गत सांवरिया सेठ टैन्ट जापानी पार्क, रोहिणी में आयोजित इस धर्मसभा का मंच उद्घाटन सुरेश जैन संघपति, ध्वजारोहण विजय जैन चांदी वाले, पवन गोधा – प्रीति जैन, धनेन्द्र जैन धन्ना, मंच संचालन गजेन्द्र जैन बज, भगवान महावीर के चित्र का अनावरण चमनलाल जैन, आर.के. जैन तथा आचार्य श्री शांतिसागरजी के चित्र का अनवारण शरद राज कसालीवाल, ज्ञानचंद जैन ने किया। दीप प्रज्ज्वलन विधायक महेन्द्र गोयल, पाद प्रक्षालन नरेन्द्र जैन गन्नौर, रोहिणी से. 11 से दीपक जैन, एन.के. जैन, संजय जैन को सौभाग्य प्राप्त हुआ। स्वागताध्यक्ष बाबूराम शीतल प्रसाद जैन ने आगंतुकों का अभिनंदन किया। आर.आर.एस संघचालक दिल्ली प्रदेश अनिल जैन अग्रवाल, विहिप दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कपिल खन्ना, भाजपा दिल्ली प्रदेश की सारिका जैन, मुन्ना लाल जैन आदि वरिष्ठ लोगों ने आचार्य श्री का आशीर्वाद प्राप्त किया। शास्त्र भेंट अनिता जैन, वीणा जैन एफ-1-यू, अनु-रितु जैन सेक्टर 5, हेमचंद जैन ऋषभ विहार, अनुज जैन सनराइज, आशीष-प्रियंका जैन से.16, रितु-मनोज जैन से.5, आर.पी. जैन- सतीश जैन अरविंद-ऊषा जैन प्रशांत विहार, जैन महिला जागृत संस्थान अशोक विहार, शरद-प्रवीन जैन सान्ध्य महालक्ष्मी, पुनीत-कविता जैन लाल मंदिर, अनिल जैन कनाडा आदि भक्तों ने सौभाग्य प्राप्त किया। सांवरिया सेठ टैन्ट के मालिक श्री अभिषेक जैन ने गुरु के प्रवचन एवं श्रावकों के बैठने की उत्तम व्यवस्था बनाने में सहयोग दिया।