22 को अयोध्या श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा निर्विघ्न हो, हर जिनालय में हो महादीपअर्चना और सुबह महाशांतिधारा :आचार्य श्री सुनील सागरजी का संरक्षण-सुरक्षा के लिये उद्घोष

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18 जनवरी 2024 / पौष शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
पूरे देश की नजरें इस समय पांच तीर्थंकरों की जन्मभूमि अयोध्या की ओर हैं, जहां श्रीराम भगवान के मंदिर की सोमवार 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा हो रही है।

वहीं श्रीराम, जिन्होंने क्षायिक सम्यग्दृष्टि होते ही वीतराग स्वरूप में भगवान पद प्राप्त किया। यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरी शांति के साथ निर्विघ्न पूरा हो, इसलिये आचार्य श्री सुनील सागरजी ने पूरे समाज से अपील की है कि उस 22 से पहले दोनों दिन 20 व 21 को ज्ञान कल्याणक दिवस आ रहे हैं, 20 को 16वें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ जी कल्याणक, 21 को अयोध्या में ही जन्मे तीर्थंकर अजितनाथजी का ज्ञान कल्याणक। ऐसे पावन दिनों में देशभर के जिनालयों में भक्तामर पाठ करें, णमोकार पाठ करें, मंगल दीप अर्चना करें और फिर 22 जनवरी को सुबह सभी जिनालयों में महामस्तकाभिषेक और महाशांतिधारा करें। भावना यही भायें कि पांच तीर्थंकरों की जन्मभूमि अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम निर्विघ्न सम्पन्न हो। 500 साल के संघर्ष के बाद श्री राम मंदिर का निर्माण हुआ, जैसे श्री राम जी अपनी भूमि पर विराजे, ऐसे ही गिरनारजी, मंदारगिरि, खण्डगिरि जैसे तीर्थों से भी अतिक्रमण हटे और जैन लोगों को भी पूजा-दर्शन का पूरा अवसर मिले

इस तरह की आशा रखें, मंगल भावना रखें जो प्राचीन तीर्थ जीर्ण हैं, उनका भी संरक्षण हो, सुरक्षा हो।

आचार्य श्री सुनील सागरजी ससंघ 3-4 डिग्री के तापमान में ठिठुरन भरी बर्फीली हवाओं के बीच मेरठ से तरुण सागरम्, फिर ऋषभांचल से कविनगर गाजियाबाद पहुंचे। ऐसे परिषह को सहन करते हुए दिगंबर संत चलते-फिरते तीर्थ के साथ दुनिया का 8वां अजूबा कहे जाते हैं। जब इस पर सान्ध्य महालक्ष्मी ने पूछा तो वे मुस्कराकर बोले – दिगंबर संत तो टेम्परेचर को भी टेम्परेचर देने वाले होते हैं, 3-4 डिग्री तापमान में भी चलते रहते हैं। यह रत्नधारी हैं। कविनगर समेत समस्त गाजियाबाद जैन समाज ने आचार्य श्री ससंघ का बैंड बाजे के साथ शोभायात्रा के रूप में भव्य मंगल प्रवेश कराया। भगवान महावीर के संदेशों का जन-जन में प्रचार-प्रसार कर रहा अहिंसा रथ भी इस प्रवेश की शोभा बढ़ा रहा था। प्रवेश के तुरंत बाद आयोजित धर्मसभा में कविनगर समिति ने आगुंतकों द्वारा चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं आचार्य श्री के चरणों में अर्घ्य समर्पित करा उनका सम्मान किया।

आचार्य श्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि
घमंड कभी मत करना, तकदीर बदलती रहती है,
आईना वही रहता है, पर तस्वीर बदलती रहती है।
कहीं मोह के अंधकार में, कहीं अज्ञान के आगोश में सोए हैं,
रागवश रातों रात और कर्मों से बंधकर रोए हैं,
जिन्होंने निज को पहचाना, उन्होंने ही विकार धोए हैं।
गुरुचरण आचरण की ऊंचाईयां छूते हैं,
वो हैं जो पाप से अछूते हैं।

उन्होंने कहा कि गुरु संतों के पाद प्रक्षालन से तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिलता है, क्योंकि संत अनेक तीर्थों के दर्शन करते हैं। वहां की रज जुड़ जाती है और वो पुण्य वर्गणायें वहां से होते हुए, आपके हाथों से मस्तक तक पहुंच कल्याण वाली हैं। आज चल-अचल तीर्थों के साथ निश्चल तीर्थ की भी सुरक्षा करनी जरूरी है। जैन संस्कृति बहुत समृद्ध रही है, कुछ कब्जा लिए, कुछ मिटा दिये, कुछ बदल दिये। जिनशासन का हर बच्चा महावीर बन सकता है, बस सही दिशा मिल जाये।

कविनगर कमेटी के महामंत्री श्री प्रदीप जैन ने बताया कि 21 जनवरी को प्रात: तीर्थंकर श्री अजितनाथ जी का ज्ञानकल्याणक एवं सायं 5.45 से दीप अर्चना का आयोजन होगा। 22 जनवरी को प्रात: 7.30 बजे से महामस्तकाभिषेक एवं महाशांतिधारा आचार्य श्री के मुख से होगी। 22 जनवरी को जैन नगर गाजियाबाद में प्रात: 11.30 बजे सन्मति सुनीलम् मुनि वस्तिका का शिलान्यास कार्यक्रम सम्पन्न होगा। आचार्य श्री सुनील सागरजी ससंघ का यहां से 22 जनवरी को वसुंधरा से.10 और 23 जनवरी को नोएडा से. 50 में मंगल प्रवेश होगा।