03 अगस्त 2023/ श्रावण कृष्ण दौज /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ डोंगरगढ़/ सिंघई निशांत जैन
संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव और भाव का प्रभाव पड़ता है | क्षेत्र और काल के प्रभाव से हिंसक अहिंसक और अहिंसक भी हिंसक हो जाते हैं | ऐसे कई उदाहरण शास्त्रों में पढने को मिलते हैं |
घने जंगल के बीच से एक रास्ता है जो कि डाम्बर रोड है जिसमे 12 – 15 व्याग्र (सिंह) क्रम से बैठ जाते हैं कुछ वही लोट – पोट होते रहते हैं और कुछ उस मुलायम रोड में लेट जाते हैं | वहाँ एक ओर से कार आती है रोड में इतने सारे सिंह को देखकर और रास्ता न मिलने पर कार के कांच को बंद कर लेते हैं | आगे पीछे दोनों तरफ सिंह आ जाते हैं | सिंह भी कार में सवार यात्रिओं को कुछ नहीं करता है |
एक सिंह को हमने सुखी घांस और सूखे पत्ते खाते देखा है हो सकता है उसने सल्लेखना ली हो | सभी सिंह गुफा में शांति से बैठे हैं और उस सिंह से कहते हैं कि बताओ क्या खाना है हम लाकर देते हैं | तो वह कहता है मुझे कुछ नहीं खाना है | एक व्यक्ति जब छोटा था तब एक वृक्ष उसने लगाया था और जब वह बुढा हो गया तो उस वृक्ष में फल आने लगे तो वह उस वृक्ष के फल को स्वयं न खाकर वहाँ आने वाले राहगीर को खिलाता था |
वहाँ से निकलने वाले राहगीर उस पेड़ कि छाँव में बैठकर उसके मीठे फल को खाते थे | वृक्ष स्वयं अपने फल नहीं खाता है | फल पकने पर उसे निचे गिरा देता है जिसे दूसरे खाकर अपनी भूक शांत करते हैं | ऐसे ही हमें भी दान देना चाहिये जिससे दूसरे को लाभ मिल सके | आप बनिया लोग हो व्यापार में लेना और देना दोनों होता है तभी व्यापर चलता है | इसमें पहले उधारी देते हैं फिर उसे लेते है समय पर पैसा न मिलने पर बंजी करते हैं |
चंद्रगिरी में जो दान कि राशि बोली है और अभी तक नहीं दिया है उसे गुणित क्रम से ब्याज लगेगा वैसे हम ब्याज तो लेते नहीं है लेकिन समय पर बीज बोगे तो फसल भी अच्छी होगी उसी प्रकार बोला हुआ दान समय पर देने से कई गुना फल देता है