24 जुलाई 2023/ श्रावण अधिमास शुक्ल षष्ठी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/निर्मल कुमार पाटोदीः
दिगंबर जैन धर्म के 22 वें तीर्थंकर प्रभु नेमिनाथ जी की तपस्या और निर्वाण स्थली गिरनार पहाड़ की पाँचवीं टोंक सहित दूसरी, तीसरी, चौथी और पाँचवीं टोंक ही क्या अब पूरे पर्वत को दत्तात्रेय स्वरूप प्रदान करने लिए गुजरात के मुख्यमंत्री ने रुपये 114करोड़ की योजना राज्य के “गुजरात पवित्र यात्राधाम विकास बोर्ड” के प्रस्ताव को क्रियान्वित करने के लिए “द कमेटी फ़ार्मेशन फॉर द डेवलपमेंट वर्क्स” काम शुरु करने जा रहा है।
राज्य सरकार के रेकार्ड के अनुसार (हमारे समाज की लापरवाही के चलते हुए) यह भी स्पष्ट हो चुका है कि गिरनार पहाड़ पर स्थित सभी जैन धर्म के स्थलों का नाम सरकार के रेकार्ड में अब नहीं है। पहाड़ की पहचान सनातन धर्मावलंबियों ने दत्तात्रेय के नाम से करवा दी है।
इस परिवर्तन को रोकने में हमारे समाज की ज़िम्मेदार संबंधित संस्था की ओर से राज्य सरकार और न्यायालय स्तर पर कब-कब कितने प्रयास किए गए हैं, समुचित जानकारी संस्था के सदस्यों और समाज को संभवतः किसी भी माध्यम से नहीं दी गई है। किसी पर दोषारोपण की भावना से नहीं लिखा जा रहा है।
21 जुलाई २०२३ से 24 जुलाई तक वाराणसी के प्राचीनतम मंदिरों से जुड़े हिंदू, सिख, जैन व बौद्ध धर्म स्थलों के व्यवस्थापकों का महाकुंभ टेंपल कन्वेंशन एण्ड एक्सपो आयोजन के समाचार के अनुसार श्वेत पत्र तैयार होगा। दी गई सूचि में “गिरनार दत्तात्रेय मंदिर जूनागढ़ नाम है” जूनागढ़ में जैन धर्म के नाम का उल्लेख तक नहीं है।
हमारे समाज के पूज्यनीय, वंदनीय संतगणों को धर्म के तीर्थस्थलों पर किया जा रहे प्रहार की समुचित प्रमाणिक जानकारी पहुँच नहीं रही है। उनकी चिंता के माध्यम से समाज को संयुक्त रहते जागृत करने और इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम उठाने के लिए पहल अब भी नहीं होगी, तो क्या सब कुछ लूट जाने के बाद पछताने ही बचेगा ?
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