जीवन में दो बडे खतरनाक बिमारी पैदा हो गयी है, रिश्ते बिखर जाते है, जिससे समाज परिवार, घर लुटता है,आप स्वयं भी लुट जाते हैं – अहम् और वहम् : आचार्य श्री सुनील सागरजी

0
382

16 जुलाई 2023/ श्रावण अधिमास कृष्ण चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
वर्तमान में सबसे बड़े संघ के रूप में ऋषभ विहार दिल्ली में वर्षायोग कर रहे आचार्य श्री सुनील सागर जी ससंघ, जिसमें 51पिछि है। आज चतुर्दशी पर ,लगभग पूरे संघ का उपवास है। 2 साधुओं का आज केशलोंच हुआ। एक साधु 6 माह के लिए , दूसरे साधु 2 माह के लिए मौन है। वही एक साधु का एक दिन आहार एक दिन उपवास चल रहा है।

ऋषभ विहार, दिल्ली में चातुर्मास कर रहे आचार्य श्री सुनील सागरजी ने कहा कि
किसी का अहम् मुझे काँटे जा रहा है,
किसी का वहम् मुझे काटे जा रहा है,

चलो इस दुलियो में गुरू ही है,
जिनका आशीर्वाद मुझे बढ़ाये जा रहा है।

अहम और वहम बडे खतरनाक होती है, जिससे समाज परिवार, घर लुटता है। आप स्वयं भी लुट जाते हैं। कहीं न कहीं जीवन में यह दो बिमारी पैदा हो गयी है।

सरलता और विनम्रता से ही रिश्ते चलते है। वरना अहम् और वहम से रिश्ते बिखर जाते है।
सारे देश को पता होना चाहिए, हमारे साधू के साथ ऐसा कैसे घटा? हमारे समाज को साथ ऐसे कैसे हुआ ? अब हमारा अहंकार क्यों नही जागता? अपने अस्मिता और संस्कृति की रक्षा करें।

रास्ते चलते मुनिराज को कोई भी कुछ कह देता है, तब क्यों नहीं अहम् जागता ? ज्ञानी । अहंकार करना पर कब ?

जब हमारे धर्म, साधु और समाज पर अंगुली उठती है तब हमारा खून खोलना चाहिए साधुओ का धर्म का समाज का सरक्षण करना चाहिए
कोई जैनी भाई पैसों के लिए न्याय के लिए औषधि के लिए दर दर हाथ फैलाता है तब क्यु नही आपके अहंकार पर चोट लगती हमारा जैनी भाई शिक्षा के कारण स्वास्थय के कारण पैसो के लिए जान दे रहा है तब आपके मन को चोट नही लगती की ऐसा क्यू? हम उसकी मदद करें। जिनके पेट भरे होते है उन्हें भूखे की किमत नहीं समझे मैं आती।

हर एक का जीवन धर्म मय हो। कुंदकुंद स्वामी समयसारजी के 6 गाथा में कहते है- जो ज्ञायक भाव है वह अप्रमत्त भी नही है और प्रमत्त भी नहीं है इस तरह उसे शुद्ध कहते है और जो ज्ञायक भाव द्वारा जान लिया गया है, वह वही है।

जिसको तत्वनिर्णय हुआ है, वह पराग मुख नही होते। ‘सहज शांत होने की कोशिश करें।