जब तक हम आयुर्वेद शास्त्र को नहीं पढेंगे तब तक यह युग जिस ओर जा रहा है उसी ओर आप भी भटक जायेंगे , अच्छे स्वास्थ्य के लिये आयुर्वेद है श्रेष्ठ- आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

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30 जून 2023/ आषाढ़ शुक्ल दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ डोंगरगढ़ / निशांत सिंघई जैन
संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि एक दिन एक महाराज उपवास करने के पक्ष में थे और गुरु उपवास न करने के पक्ष में थे | अस्वस्थ्यता के कारण आज आहार करना आवश्यक था | शरीर के बिना धर्म साधना नहीं होती और अन्न के बिना शरीर काम नहीं करता है | मुनि संयत होकर आहार लेते हैं जो आवश्यक है और जितनी आवश्यकता है उतना ही लेते हैं | धर्म का अर्थ मै ही करूँ ऐसा नहीं है धर्म सभी के लिये समान होता है | यह सामान्य बात हो गयी और विशेष बात आप अपने लिये अलग भोजन और दूसरे के लिये अलग ये क्यों ऐसा सुनने में आता है कि प्लास्टिक के चाँवल बन रहे हैं | प्लास्टिक क्या है यह आपको ज्ञात है | दिखने में ऐसा कि जिसे देखकर आपको लगे कि भरपूर खा लूँ और सुगंध ऐसी कि सुवासित से भी आगे के चाँवल है| इसे खाने से आंत का क्या होगा क्या यह रोग पैदा नहीं करेगा |

अच्छा स्वास्थ्य जो होता है वह प्रत्येक व्यक्ति के लिये आवश्यक है चाहे वह सामान्य व्यक्ति हो, प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति हो | आज चुनाव के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है | शिक्षा में बच्चे सिर्फ साइंस (विज्ञान) ही मात्र पढ़ना चाहता है | बच्चे के माता पिता के ऊपर ही ऐसा प्रभाव पढ़ रहा है कि वह देशी के स्थान पर विदेशी शिक्षा दिलाना चाह रहा है | जो अभिभावक और बच्चे आयें है वे सुने और जो नहीं आये हैं उनको भी यह बताये कि भारत में 80 से 85 प्रतिशत प्रसूति कार्य यंत्र के माध्यम से किया जा रहा है | चीरा – फाड़ी के माध्यम से किया जा रहा है | चाहे गरीब हो या अमिर हो या कोई भी वर्ग का हो वह प्रसूति ऑपरेशन के द्वारा ही करवा रहा है किन्तु विदेशी लेख के अनुसार प्रसूति ऑपरेशन (शल्य चिकित्सा ) विदेशों में मात्र 15 प्रतिशत होती है | ऑपरेशन के माध्यम से प्रसूति करने पर माँ और बच्चे दोनों के जीवन पर इसका प्रभाव पढता है और ऑपरेशन होने के बाद दोबारा गर्भ धारण करने में समस्या आती है और कई बार माँ और बच्चे दोनों का जीवन भी खतरे में आ जाता है | जीवन के लिये एक प्रकार से चुनौती दी जाती है |

आयुर्वेद ही एक ऐसा साधन है जिसमे किसी प्रकार कि अनिवार्यता नहीं रखी है | इसमें शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिये पहले से ही अच्छा आहार, सही दिन चर्या आदि कि व्यवस्था कि गयी है | कुछ मन्त्रों का आरोपण करने से बच्चा गर्भ में ही सुख और शान्ति का अनुभव करता है | इस प्रक्रिया से माँ अपने बच्चे को व्यवस्थित गर्भस्थ शिशु को जन्म देती है | आज जिस प्रकार इतनी अधिक मात्रा में प्रसूति के लिये ऑपरेशन किया जा रहा है क्या यह अपराध नहीं है | इसके पीछे का लक्ष्य केवल पैसा, पैसा, पैसा, पैसा कमाना मात्र है | ये कैसा पैसा है जिसके लिये स्वयं मिट गए आप | इसलिए आप आयुर्वेद शास्त्र को खोलिए और उसे पढ़िए इससे आपको गृहस्थ आश्रम को चलाने में सही मार्गदर्शन होगा | आप सही काम करेंगे तो पैसा अपने आप बरसेगा | ज्ञान का महत्व ज्ञानी ही समझ सकता है | कोरोना के प्रभाव से सब जागृत हो गए सभी देश ने इसके उपचार के लिये दवाई बनाई अमेरिका, रूस, जापान, चीन आदि | सबने दवाई बनाई लेकिन किसी का किसी पर विश्वास नहीं है |

भारत ने काढ़ा के माध्यम से आपको ठीक कर दिया | पूर्णायु में इसे बनाने के लिये 12 बजे तक कार्य किया जाता था और उसे पैक कर भेजा भी जाता था यह कार्यक्रम चलता रहा | शासन, प्रशासन और मेडिकल कॉलेज वाले पर भी काढ़े का विश्वास बन गया | इसमें किसी प्रकार से मन्त्र – तंत्र नहीं है | किसी प्रकार यह रोग शांत हो और लोग स्वस्थ्य हो यही इसका उदेश्य है | जब तक हम आयुर्वेद शास्त्र को नहीं पढेंगे तब तक यह युग जिस ओर जा रहा है उसी ओर आप भी भटक जायेंगे | आयुर्वेद में शैल्य चिकित्सा नहीं है ऐसा नहीं है | आयुर्वेद में बिना चीरा फाड़ी किये बड़ी – बड़ी गठान को भी गलाकर ठीक किया जा रहा है | वह गाँठ गलकर कहाँ जाती है पता ही नहीं चलता |

आपका विश्वास जिसमे है मै उसको मना नहीं करता पर दूसरी ओर भी देखो क्या महत्व है इसका | अमृत धारा तीन चीजो से मिलकर बनती है पिपरमेंट, कपूर और अजवाईन के फूल से | एक बार हाथ में चोट आने पर लगातार खून बह रहा था तो इसके उपयोग से 1 मिनट के अन्दर ही आराम हो गया | तत्काल खून आना बंद हो गया | तभी हमारा विश्वास अमृत धारा के ऊपर जम गया | पूर्णायु के कार्य को देखकर हमारी भावना है कि छात्र – छात्राओं के लिये एक – एक अलग – अलग महा विद्यालय खुले जिसमे प्रथम चरण में सौ – सौ बच्चे रहेंगे और फिर उसके बाद ही दूसरे चरण कि सोचेंगे |