15 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण त्रियोदिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
नागपुर- वर्धा मार्ग पर “केलझर” ग्राम के एक किसान को, स्वयं के खेत पर, खुदाई के दौरान यह मूर्ति प्राप्त हुई। इस मूर्ति का समाचार आचार्य गुरुदेव सुवीर सागर जी महाराज को गुरुभक्त अमित जैन के माध्यम से मिला, गुरुदेव के निर्देश पर ग़ुरुभक्त द्वारा तुरंत मूर्ति को, पार्श्वोदय तीर्थ नागठाना, पर लाया गया । प्रतिमाजी लगभग २ माह पार्श्वोदय तीर्थ पर विराजमान रही एवं गुरुदेव ने लेपआदि कराकर, लघु पंचकलयाणक के पश्यात् प्रतिमाजी को इस मंदिर में स्थापित करवाया।
१०८ आचार्य भगवन सुवीर सागरजी गुरुदेव के, विशेष आशीर्वाद एवं अनुकम्पा से यह मूर्ति, श्री चन्द्रप्रभु मंदिर, नागपुर को प्राप्त हुई।अब इस प्रतिमा की स्थापना 21 जून बुधवार यानी आषाढ़ शुक्ल तृतीया, वीर निर्माण संवत् 2549 को होगी। गुरुदेव के इस उपकार को, सकल जैन समाज कभी भूल नही पाएगा।
श्री शांतिनाथ भगवान की इस, अतिशयकारी मूर्ति की स्थापना का सौभाग्य सौ. रविकांता विजयकुमार जैन, नागपुर (छिंदवाडा वाले) परिवार को प्राप्त होगा।