पिच्छिका से सूक्ष्म जीवों की रक्षा की जाती है, यह संयम की प्रतीक हाेती है: आर्यिकाश्री पूर्णमति माताजी

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कुंडलपुर
कुंडलपुर में विराजमान आर्यिका संघ का भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह बड़े बाबा उच्चासन दिवस पर मनाया गया। अपने जीवन में संयम ग्रहण करने वालों ने आर्यिका संघ को नई पिच्छिका प्रदान की एवं पुरानी पिच्छिका लेने का सौभाग्य प्राप्त किया।
इन्हे मिला सोभाग्य
आर्यिका रत्न रिजुमति माताजी की पिच्छिका लेने का सौभाग्य वीरेंद्र जैन, रूबी जैन जबलपुर वालों को प्राप्त हुआ।
आर्यिका रत्न पूर्णमति माताजी की पुरानी पिच्छिका लेने का सौभाग्य अशोक शोभा एवं राजेंद्र लक्ष्मी डूंगरपुर को प्राप्त हुआ।
आर्यिका रत्न उपशांत मति माताजी की पुरानी पिच्छिका लेने का सौभाग्य महीष/ नीलांजना मोदी तेन्दूखेड़ा को प्राप्त हुआ।
इसके पूर्व सुबह बड़े बाबा के उच्चासन दिवस पर बड़े बाबा का अभिषेक विधान एवं शांति धारा संपन्न हुई। आर्यिका संघ को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य कमलेश चौधरी पथरिया गुरु भक्त परिवार गोटेगांव को प्राप्त हुआ। कुण्डलपुर कमेटी के द्वारा आर्यिका संघ के परिजनों का शाल श्रीफल व मोमेंटो भेंट कर सम्मान किया गया।
अहिंसा धर्म की रक्षा के लिए आवश्यक पिच्छिका
इस मौके पर आर्यिका श्री पूर्णमती माताजी ने अपने मंगल प्रवचनों में कहा कि चातुर्मास के उपसंहार पर अहिंसा का प्रतीक पिच्छिका परिवर्तन किया जाता है। पिच्छिका से सूक्ष्म जीवों की रक्षा की जाती है यह संयम की प्रतीक है यह बहुत ही सावधानी श्रम और पवित्र परिणामों से निर्मित की जाती है यह साधुओं का उपकरण है अहिंसा धर्म की रक्षा के लिए यह आवश्यक है हर व्यक्ति को अपने जीवन में संयम को ग्रहण करना चाहिए।